डायन प्रताड़ना और अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई छोड़ने वाली छुटनी को पद्मश्री की घोषणा के बाद किया गया सम्मानित
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जमशेदपुर
वर्षों से डायन,भूत, पिशाच, जादू-टोना के खिलाफ सामाजिक और न्यायिक लड़ाई लड़ने वाली सरायकेला जिला की छुटनी महतो अब पद्मश्री छुटनी महतो हो गई है। 15 मार्च को उसे पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। पद्मश्री के लिए नाम की घोषणा होने के बाद अब उसे सम्मानित किया जा रहा है। लोग अब उसे कार्यक्रम में शामिल होना चाहते हैं। इस सम्मान से छुटनी काफी खुश है। वो कहतीं हैं कि डायन प्रथा के खिलाफ उनका संघर्ष काम आया।
झारखंड में पदमश्री सम्मान कई लोगो को मिला कुछ नाटक कला तो कुछ छऊ नाच तो कुछ लेखक और अन्य क्षेत्रों में प्राणगात हासिल करने वाले विद्वानों को मगर इस बार झारखंड के सरायकेला जिला की उस महिला को मिलने जा रहा है जो न नाटक कला के क्षेत्र में थी ना ही कोई किताब लिखा उसे तो इसलिए पदमश्री की उपाधि दी जा रही कि वह डायन बता प्रताडित कर घर और ग्राम से निष्कासित की गई और इसके बावजूद हार नहीं मानी और प्रताड़ना की शिकार महिलाओं के लिए लड़ाई शुरू की और इसमें उसे सफलता भी मिली।
भारत सरकार की ओर से नाम की घोषणा मात्र से क्षेत्र के सामाजिक संगठन और अन्य लोग काफी खुश हैं जो कभी अपने क्षेत्र में छुटनी महतो का स्वागत कर रहे तो कभी डायन बता धिक्कारी जाती रही महिला छुटनी को सर आंखों पर बिठा रहे हैं। आज समाज सेवी जवाहर लाल शर्मा और कई लोगों ने एक सम्मान समारोह के जरिए मंच दे कर छुटनी को सम्मानित किया। जवाहर लाल शर्मा बताते हैं संघर्स की देवी छुटनी लाख यातना के बाद भी हार नहीं मानी और निरंतर डायन कहने वालों को मुह तोड़ जबाब दिया जो जमशेदपुर ही नही बल्कि झारखंड के कोने कोने से डायन बता सताई महिलाओं को सहारा देती रही। इसका नतीजा है कि सरकार उसे पदमश्री से सम्मानित करने जा रही है ।