“यास” जाते जाते किसी को दे गया जख्म तो किसी को लगा गया मरहम।
जमशेदपुर : यास तूफान के कारण जहां लोगों को काफी नुकसान हुआ है। वहीं यास कुछ लोगों के लिए बहती गंगा में हाथ धोने जैसा था। हम बात कर रहे हैं मछुआरों की। भीषण गर्मी के कारण सुवर्णरेखा नदी का जलस्तर बहुत कम हो गया था। नदी में जलस्तर ना होने की वजह से मछलियों का मिलना ना के बराबर हो गया था। इसी बीच कोरोना काल में मछलियों की बिक्री भी कम हो गई थी और उसके दाम असमान छू रहें थे। यास तूफान ने आकर मछुआरों को एक सौगात दी। यास तूफान के आने से बंगाल और ओडिशा सीमा से सटे पूर्वी सिंहभूम जिले के विभिन्न क्षेत्रों में बारिश बहुत तेज हुई। जिससे सुवर्णरेखा नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया। इस वजह से मछली पकड़ने के लिए पुल के नीचे मछुआरों की भीड़ उमड़ गई। मछुआरों ने जाल के सहारे काफी मात्रा में नदी से मछली पकड़ी। किसी को 2 क्विंटल तो किसी को 50 किलो ही नसीब हुवा।