वर्चुअल कोर्ट से दोहरी मार झेल रहे हैं अधिवक्ता
राँची: कोरोना महामारी के दूसरे लहर के कारण हो गए लॉक डाउन की वजह से सबसे ज्यादा न्यायिक कार्य से जुड़े अधिवक्ताओं को परेशानियों का सामना करना पड़ा है अब लोगों को न्याय दिलाने के लिए हर तरह का संघर्ष करने वाले अधिवक्ताओं का मनोबल अब टूट रहा है। अधिवक्ताओं का एक वर्ग कोरोना की मार से उबर नहीं पाया है और उनकी ढीली होती जेब ने उन्हें वकालत के पेशे से मोह भंग कर दिया है। कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन ने कई लोगों का रोजगार भी छीन लिया। अधिवक्ता वर्ग भी कोरोना के दुष्प्रभाव से अछूता नहीं है। कोरोना के प्रभाव के कारण पिछले लगभग डेढ़ वर्ष से राज्य में न्यायपालिका वर्चुअल मोड़ पर काम कर रही है, ताकि न्यायिक कार्य बाधित न हों। लेकिन इस वर्चुअल व्यवस्था ने वैसे कई वकीलों की कमर आर्थिक रूप से तोड़ दी है। स्टेट बार काउंसिल के सदस्य संजय विद्रोही की माने तो इस कोरोना कॉल में अधिवक्ताओं की स्थिति काफी खराब हो गई है। अदालत ने भी वेब काउंटर जैसी सुविधा बंद होने के कारण अधिवक्ताओं को सेटिस्फाई कॉपी नहीं मिल पा रही है। अदालत में न्यायिक कार्य वर्चुअल कोर्ट से चल रहा है लेकिन अधिवक्ताओं को किसी न किसी रूप में अदालत पहुंचना पड़ रहा है जिसके कारण अधिवक्ताओं को दोहरी मार पड़ रही है दूसरी तरफ क्लाइंट से अधिवक्ताओं के काम के प्रति संतुष्टि नहीं हो पा रहा है. उन्होंने बताया कि लंबे समय से अदालत में न्यायिक कार्य वर्चुअल माध्यम से चलने के कारण अधिवक्ताओं की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है जिसके कारण रांची समेत राज्य के कई जिलों के सैकड़ों अधिवक्ताओं ने मौजूदा स्थिति को देखते हुए फिलहाल अपना पेशा बदल कर दूसरे कामों पर ध्यान लगा दिया है। ताकि इस विषम परिस्थिती में उनके परिवारवालों का भरण पोषण हो सके। वकीलों की एक बड़ी संख्या मिस्लीनियस कार्यों के जरिये ही जीविकोपार्जन करती है लेकिन वर्चुअल मोड़ में उनकी उपयोगिता थोड़ी कम हुई है। काम कम होने का असर उनकी कमाई पर भी पड़ा है।