मुख्यमंत्री ने नए झारखंड विधानसभा और झारखंड हाई कोर्ट भवन निर्माण की जांच ACB को सौपीं
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राँची : मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने नए झारखण्ड विधानसभा और झारखण्ड उच्च न्यायालय के निर्माण कार्य में बरती गई वित्तीय अनियमितता की जांच ए.सी.बी से कराने का आदेश दिया है। इस आदेश के बाद झारखंड में सियासत गरम हो गयी है। प्रदेश बीजेपी ने इस जांच का स्वागत करते हुए कहा कि वर्तमान सरकार रघुबर दास के जितने मामलो की जांच कराना चाहती है करा लें। पर जांच को परिणति तक लेकर जाए। साथ ही कहा कि पिछले विधानसभा सत्र में जेएमएम के विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने संथालपरगना सहित पूरे झारखंड में खनिज संपदा की हो रही लूट का मुद्दा उठाया था इसकी भी सरकार को जांच करानी चाहिये, और इस बात की भी जांच होनी चाहिये कि खनिज संपदा की लूट का पैसा किन किन लोगों तक पहुंच रहा है ये भी सरकार को बताना चाहिये।
वही प्रदेश कांग्रेस ने इस पर बोलते हुए कहा कि वर्तमान गठबंधन की सरकार ने शुरू से ही कहा था कि भ्रष्टाचार किसी कीमत पर बर्दास्त नही किया जाएगा उसी दिशा में में ये कदम है। जिस प्रकार पूर्ववर्ती रघुवर दास की सरकार ने इस राज्य को भर्ष्टाचार का विश्विद्यालय बनाकर रख दिया था , अब उसकी कड़ी तोड़ने का वक्त है। अब राज्य की वर्तमान सरकार दोषियों को जांच कर उसे सजा दिलवाने के लिए कृतसंकल्प है। गौरतलब है कि झारखंड विधानसभा और हाई कोर्ट के नए भवन निर्माण में वित्तीय अनियमितता की जांच की मांग वाली जनहित याचिका दायर की गयी थी। झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर इसकी जांच की मांग की थी। जिसमें कहा गया था कि अधिकारियों और निर्माण करने वाले संवेदक रामकृपाल कंस्ट्रक्शन लिमिटेड की मिलीभगत से वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं। शुरूआत में कोर्ट भवन के निर्माण के लिए 365 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई थी।

बाद में 100 करोड़ घटा कर संवेदक को 265 करोड़ में टेंडर दे दिया गया। वर्तमान इसकी लागत बढ़कर लगभग 697 करोड़ रुपये का हो गया है। बढ़ी राशि के लिए सरकार से अनुमति भी नहीं ली गई और न ही नया टेंडर किया गया। वादी ने इस मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की थी। साथ ही, पूर्व मुख्य सचिव व संवेदक की भूमिका की भी जांच की मांग की थी। रांची के HEC के कुटे में झारखंड विधानसभा के नए भवन के निर्माण में भी इंजीनियरों पर मेसर्स रामकृपाल कंस्ट्रक्शन को लाभ पहुचाने का आरोप है। विधानसभा के इंटीरियर वर्क के हिसाब-किताब में गड़बड़ी बता कर भवन निर्माण के इंजीनियरों ने पहले 465 करोड़ के मूल प्राकलन को घटा कर420.19 करोड़ कर देने की शिकायत है। आरोप है कि बिल ऑफ क्वांटिटी में निर्माण लागत 420.19 करोड़ से घटाकर 322.03 करोड़ कर दिया गया । यही नकहि टेंडर निबटारे के बाद इसे 10 प्रतिशत कम कर 290.72 करोड़ में रामकृपाल कंन्स्ट्रक्शन को दे दिया गया। यही नही ठेकेदार के कहने पर वास्तुदोष केनाम पर साइट प्लान को बदला गया जिससे इसका निर्माण क्षेत्र में 19,943 वर्गमीटर बढ़ गया। और बढ़े हुए निर्माण क्षेत्र पर समानुपातिक डर से ठेकेदार को भुगतान का निर्णय लिया गया। जिसपर राज्य के महालेखाकार ने इन गड़बड़ियों को पकड़ इसे अपनी रिपोर्ट सरकार को भेजा।