अक्षय ऊर्जा से मिलेगी पृथ्वी को राहत, युद्ध और प्रदूषण से बिगड़ रहा संतुलनहा संतुलन
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न्यूज़टल डेस्क:22 अप्रैल को पूरी दुनिया विश्व पृथ्वी दिवस मना रही है। इस वर्ष की थीम “हमारी शक्ति, हमारा ग्रह” है, जो अक्षय ऊर्जा की ओर वैश्विक बदलाव को गति देने का संदेश देती है। जलवायु परिवर्तन, वायु और जल प्रदूषण, जैव विविधता का नुकसान और ग्लोबल वॉर्मिंग जैसे गंभीर संकटों के बीच पृथ्वी को मरहम की ज़रूरत है। इंसानी गतिविधियों, बेतरतीब विकास और युद्धों से पृथ्वी की स्थिति दारुण हो गई है।

युद्ध जैसे कि रूस-यूक्रेन और इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष ने न केवल मानवता को प्रभावित किया है बल्कि पर्यावरण पर भी गहरा असर डाला है। रसायनिक हथियार, बमबारी और विस्थापन से जल, भूमि और वायु प्रदूषित हो रहे हैं। वहीं, जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम असामान्य हो गया है—कहीं सूखा तो कहीं अतिवृष्टि हो रही है। भारत सहित कई देश अब नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे सौर और पवन ऊर्जा की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं ताकि पर्यावरणीय संतुलन बहाल किया जा सके।

भारत ने 2030 तक अपनी 50% ऊर्जा आवश्यकता नवीकरणीय स्रोतों से पूरी करने का लक्ष्य तय किया है। वहीं झारखंड जैसे राज्य कोयले पर निर्भरता के चलते अभी चुनौती से जूझ रहे हैं। राज्य सरकार ने नई सौर नीति के तहत 4000 मेगावाट का लक्ष्य तय किया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अक्षय ऊर्जा न केवल प्रदूषण को घटाएगी, बल्कि स्वास्थ्य, रोजगार और आर्थिक स्थिरता को भी मजबूती देगी। पृथ्वी दिवस का यही संदेश है—अब समय है प्रकृति के लिए निर्णायक कार्रवाई का।