अर्थव्यस्था की रीढ़ कहे जाने वाले खेती में सालाना लाखों, करोड़ो के इनकम का रास्ता बना एक किसान कर रहा 50 एकड़ में खेती, जो झारखंड प्रदेश के लिए बना रोल मॉडल
1 min readअर्थव्यस्था की रीढ़ कहे जाने वाले खेती में सालाना लाखों ,कडोरो के इनकम का रास्ता बना एक किसान कर रहा 50 एकड़ में खेती । जो झारखंड प्रदेश के लिए बना रोल मॉडल । जिसकी हरी शब्जियो की डिमांड ,उड़ीसा,,बंगाल ,,बिहार,,up और दिल्ली ,,मुंबई जैसे बड़े राज्यो में जोरो पर …कहा नॉकरी आधीनता है और खेती का पेशा स्वधीनता का परिचायक है ,, कृषि विभाग भी काफी खुश कहा जमशेदपुर ही नही झारखंड सहित पूरे राष्ट्र के लिए रोल मॉडल है यह किसान ………
………….जमशेदपुर के नक्सल प्रभावित क्षेत्र के 50 एकड़ में आउट सीजन की खेती ने कोरोनाकाल मे प्रवासी मजदूरों को दिया काम …कुछ सपना लेकर सभी जन्म लेते है मगर अपने सपनो को उड़ान बहुत ही कम लोग दे पाते है जिसमे एक है झारखंड जमशेदपुर का यदुनाथ गोराई जो जमशेदपुर के पटमदा नक्सल क्षेत्र में जन्म लिए और गांव में ही इंटर की पढ़ाई पूरी कर पढ़ाई को अलविदा किया फिर समस्या रोटी की आन पड़ी ताभि कही नॉकरी ना मांग अपने और अपने आस पास के गांव में लीज पर बड़े बड़े खेतो को ले खेती सुरु की जहा आज 50 एकड़ में हरी शब्जी उगाते है वह भी बिना सीजन वाली शब्जी जिसका मूल्य बाजारों में ज्यादा मिलता है जिसका डिमांड भारत के सभी बाजारों में जोरो पर रहता है …
यह पटमदा के पहाड़ो और जंगलो के बीच पहाड़ी क्षेत्रों में हरिशब्जियो से लहलहाते खेत किसी बड़ी प्रयास को दर्शाता है…. जी हां यह आउट सीजन की खेती बड़े पैमाने पर करने के लिए पूरे प्रोफेसनल तरीके से मेहनत और ईमानदारी का नतीजा है जो वर्ष का कई लाख का tex इसी खेती को कर देते है जिनका उत्पाद दिल्ली ,,मुम्बई,up,, उड़ीसा ,और बंगाल जैसे कई स्टेट को जाता है जो आज क्षेत्र के कई लोगो को खेती के रोजगार से जोड़ उनके घरों घरों में रोटी पहुचाने में सफल है …
…….आप या हम माह का या सालाना कितना कमाई करते है और करते है वह बड़े शहरों में रह कर कितना बचा पाते है जब हम आखरी में जोड़- घटाव करते है तो पता चलता है कुछ नही …मगर खेती में मिशाल कायम करने वाले यदुनाथ गोराई बताते है अपनी स्वतंत्रा को देखते हुए ,,अपना काम अपना पहचान ,,के तहत खेती को जीवन का क्रम स्थली बना अपना पहचान बनाया जो आज लगभग सालाना 1 से 2 करोड़ का टार्न -ओभर है जिसे वह कम बताते है कहते है इस कोरोनाकाल मे थोड़ा परेशानी हुई है …….जहा सरकार मदद करती है मगर फसलों का बीमा आज तक नही मिला …
……. यदुनाथ गोराई …किसान ……..
……….कृषि विभाग के अधिकारी से जब झारखंड के इस रोल मॉडल किसान के बारे में जाना गया तो बताया उन्हें बहुत ही फक्र होता है कि हमारे क्षेत्र के किसान है जो रोल मॉडल है जो आउट सीजन की खेती कर भारत के कई स्टेट में अपनी पहचान बनाने में सफल है जो आज कोरोनाकाल में प्रवासी मजदूरों को काम भी दे रहे है और झारखंड का नाम रौशन भी कर रहे है और जहा तक सरकारी सुविधा पहुचाने की बात तो बहुत कुछ दिया गया है मगर फसल बीमा में कुछ अड़चने आती है जिसे जल्द ठीक कर लिया जाएगा ।
……..मिथलेश कालिंदी …. कृषि अधिकारी ..जमशेदपुर……
…………कृषि को नुकसान का व्यसाय समझ उच्च स्तरीय पढ़ाई पढ़ देश के बड़े शहरों में नॉकरी करने वाले या रोजगार के लिए अपना गांव अपना खेत छोड़ अन्य शहरों में भटकने वाले लोगो को झारखंड के इस किसान की कमाई के साथ राष्ट्रीय पहचान को देख समझ आ जाना चाहिए कि जिसे आप मिट्टी समझ छोड़ चुके है दरसअल वही सोना है ।