हो भाषा के संवैधानिक मान्यता, भाषा विकास एवं संरक्षण को लेकर आदिवासी हो समाज युवा महासभा के द्वारा केन्द्र सरकार और राज्य सरकार को भेजा गया मांग पत्र …
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न्यूज़ टेल/चाईबासा: मंगलवार को हो भाषा द्वितीय राजभाषा दिवस के अवसर पर आदिवासी हो समाज युवा महासभा के द्वारा झारखंड राज्य के राँची, बोकारो, खूँटी, पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां एवं पश्चिमी सिंहभूम सहित अन्य जिलों के उपायुक्तों के माध्यम से हो भाषा के संवैधानिक मान्यता,भाषा विकास एवं संरक्षण को लेकर केन्द्र सरकार और राज्य सरकार को माँग पत्र भेजा गया ।
आदिवासी हो समाज युवा महासभा तथा आदिवासी हो समाज महासभा के तत्वाधान में राज्य स्तर पर हो समाज के लोगों द्वारा हो भाषा द्वितीय राजभाषा दिवस के रूप में मनाया गया । आदिवासी हो समाज युवा महासभा की टीम ने पत्र में उल्लेख की है कि राष्ट्रीय स्तर पर ऑल इंडिया हो लैंग्वेज एक्शन कमिटि के मार्फत हो भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने हेतु केन्द्र सरकार से माँग जारी है ।
भाषा की संवैधानिक मान्यता के लिए झारखंड, ओढ़िशा, असम, पश्चिम बंगाल,छत्तीसगढ़,महाराष्ट्र एवं दिल्ली जैसे अन्य राज्यों से हो समाज के सामाजिक संगठन तथा हो भाषा-भाषी के प्रेमी लोग आंदोलनरत हैं । मंगलवार को द्वितीय राजभाषा दिवस के अवसर पर विभिन्न जिलों के डीसी के माध्यम आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए प्रधानमंत्री और गृहमंत्री,भारत सरकार को माँग पत्र समर्पित किया गया है । इसके साथ ही मुख्यमंत्री,झारखंड सरकार को हो भाषा वारंगक्षिति लिपि को पूर्ण रूप से सरकारी मान्यता तथा हो भाषा के शिक्षकों को झारखण्ड राज्य में प्राईमरी से लेकर विश्वविद्यालय स्तर पर सरकार की ओर से बहाल करने का माँग-पत्र भी सौंपा गया ।
कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए विभिन्न जिलों में संगठन स्तर पर प्रभार नियुक्त किया गया । इस अवसर पर आदिवासी हो समाज युवा महासभा केन्द्रीय कमिटि के महासचिव गब्बरसिंह हेम्ब्रम,सांस्कृतिक सचिव प्रकाश पुरती,संगठन सचिव सुशील सवैंया,झारखंड प्रदेश संगठन सचिव राहुल पुरती,प्रदेश कोषाध्यक्ष शंकर सिदु,ओएबन हेम्ब्र,प० सिंहभूम जिलाध्यक्ष गलाय चातोम्बा, सचिव हरिश कुंकल,जिला धर्म सचिव बुकूल सिंकू, सदर अनुमंडल अध्यक्ष एलियस बोदरा, कोषाध्यक्ष चाहत देवगम,संयुक्त सचिव रामेश्वर बिरूवा, सीकेपी प्रखण्ड अध्यक्ष मोगो केराई, मांगता पुरती, सोनाराम सिंकू, भगवान तामसोय, चंपई दोराई आदि लोग मौजूद थे ।