एक नहीं, दो बैंक अकाउंट क्यों ज़रूरी? जानें फायदे और फ्रॉड से बचाव का फॉर्मूला
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Newstel desk:ज़्यादातर लोग अपनी सैलरी, खर्च और निवेश को एक ही बैंक खाते से मैनेज करते हैं, लेकिन ऐसा करना कई बार रिस्क भरा साबित हो सकता है। डिजिटल पेमेंट और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के दौर में फ्रॉड या हैकिंग का खतरा बढ़ गया है।


एक ही अकाउंट होने पर UPI फ़िशिंग, कार्ड क्लोनिंग, डेटा लीक या किसी तकनीकी गड़बड़ी की स्थिति में पूरा पैसा खतरे में पड़ सकता है। वहीं, इनकम और खर्चे मिक्स होने से बजट मैनेज करना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि दूसरा बैंक अकाउंट खोलना समझदारी भरा कदम हो सकता है। दूसरा अकाउंट आपके प्राइमरी सेविंग्स और रोजमर्रा के खर्चों के बीच फ़ायरवॉल का काम करता है।


सैलरी और इमरजेंसी फंड को मुख्य खाते में सुरक्षित रखने और बिल पेमेंट या शॉपिंग जैसे ट्रांजेक्शन के लिए अलग अकाउंट इस्तेमाल करने से जोखिम सीमित हो जाता है। अगर हैकिंग होती भी है तो नुकसान केवल उतनी राशि तक रहेगा जितनी उस खाते में ट्रांसफर की गई थी।


इसके अलावा, अलग-अलग पासवर्ड और mPIN होने से सुरक्षा और बढ़ जाती है। साथ ही, ट्रांजेक्शन अलर्ट और खर्च की सीमा तय करने से बजट पर भी बेहतर नियंत्रण मिलता है। इस तरह, दूसरा बैंक खाता न केवल साइबर फ्रॉड से बचाव करता है बल्कि वित्तीय अनुशासन बनाए रखने में भी मददगार साबित होता है।
