मजदूर दिवस पर मजदूरों ने भरा हुंकार कहा सिर्फ टीका नही टाका और राशन भी देना होगा
राँची: अंतराष्ट्रीय मजदुर दिवस दुनिया के मज़दूरों की एकता अधिकार और सम्मान का प्रतीक है। केंद्र और राज्य की सरकारें मज़दूरों से ज्यादा कंपनियो के लिए ज्यादा चिंतित है। जिस तरह से 44 श्रम कानूनों को खत्म कर चार लेबर कोड बनाया गया यह देश के मजदूरों के अधिकारों पर हमला है। यह बातें एक्टू के प्रदेश महासचिव शुभेंदू सेन ने कही। उन्होने चेतावनी के लहजे में कहा की उत्पादन की मुख्य ताकत की उपेक्षा केंद्र सरकार को महंगा पड़ेगा।
निमार्ण मजदूर यूनियन के प्रदेश महासचिव भुवानेश्वर केवट ने कहा की कोरोना आपदा के दौर में मजदूरों को राहत देने के बजाय उनके अधिकारों को छीनने का काम किया जा रहा है कंपनियों को प्रोत्साहन पैकेज और कोरोना फ्रंटलाइन कर्मियो और मज़दूरों को बारह घंटे काम का बोझ मजदूरों के साथ बेमानी है। केंद्र सरकार देश में कंपनी राज थोपने की साजिश कर रही है जिसका कड़ा विरोध किया जाएगा केंद्र सरकार 18वर्ष के ऊपर के मजदूरों को सिर्फ टीका नही टाका और राशन भी दे। कोरोना आपदा ने सभी सरकारो के विकास की पोल खोल दी है सभी तैयारियां आग लगने पर कुआं खोदने जैसी है। केंद्र सरकार कोरोना फ्रंटलाइन कर्मियो को बीमा और विशेष भत्ता का भुगतान करें अन्यथा सरकार को मजदूरों के भारी बिरोध का सामना कराना होगा। कार्यक्रम के पूर्व मई दिवस के शहीद मज़दूरों को आज जिला स्कूल के मैदान में सभा अयोजित कर एक मिनट का मौन रहकर श्रद्धांजलि अर्पित किया गया। तत्पश्चात गगणभेदी नारों के साथ लड़ेंगे जीतेगें का संकल्प दुहराया गया।