बोकारो में कोयला भंडारण क्षेत्र में भीषण आग, हजारों की जान पर संकट
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रेलवे और जिला प्रशासन पर उठे सवाल
बोकारो:रेलवे स्टेशन के गुड शेड्स क्षेत्र में भंडारित कोयले में भीषण आग लग गई है। आग की लपटें इतनी तेज हैं कि आसपास के इलाकों में दहशत का माहौल बना हुआ है। जानकारी के अनुसार, करीब एक किलोमीटर क्षेत्र में फैले कोयले के भंडार में आग लगी है।

इस इलाके से महज 100 मीटर की दूरी पर रांची-बोकारो मुख्य रेल लाइन गुजरती है, जिस पर वंदे भारत, राजधानी और कई एक्सप्रेस ट्रेनें रोजाना चलती हैं। स्थानीय लोगों को आशंका है कि अगर आग और बढ़ी तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।

इस क्षेत्र के 50 से 70 हजार की आबादी को धुएं और कोयले की धूल से भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। ग्रामीणों का कहना है कि लंबे समय से वे दमा, टीबी और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं। बावजूद इसके रेलवे प्रशासन और जिला प्रशासन मौन हैं। कई बार शिकायत के बाद भी न तो आग बुझाने की कोई ठोस कार्रवाई हुई है और न ही प्रदूषण नियंत्रण के उपाय किए गए हैं।

स्थानीय समाजसेवी रौनक अफरोज, ग्रामीण युवा समी अहमद, महिला ग्रामीण नूर सबा, युवा ग्रामीण अब्दुल रजाक और बुजुर्ग शेर मोहम्मद ने बताया कि हालात इतने खराब हैं कि लोग सांस तक नहीं ले पा रहे। उन्होंने कहा कि बार-बार जिला प्रशासन, विधायक और सांसद से गुहार लगाने के बावजूद कोई समाधान नहीं मिला।

आखिरकार ग्रामीणों ने झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।ग्रामीणों का आरोप है कि आद्रा डिविजन का बोकारो गुड शेड्स क्षेत्र “काले कोयले के काले खेल” का अड्डा बन चुका है। कोयला माफिया, कुछ कंपनियां और रेलवे अधिकारियों की मिलीभगत से यहां बड़े पैमाने पर कोयले की कालाबाजारी की जा रही है।

रेलवे की जमीन पर कोयले का हजारों टन भंडारण फैला हुआ है। एक ओर जहां क्रशर मशीनों से कोयले और पत्थर को मिलाकर अवैध प्रोसेसिंग की जा रही है, वहीं दूसरी ओर आग ने पूरे इलाके को खतरनाक बना दिया है।ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि आरपीएफ और रेलवे अधिकारियों की लापरवाही से न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि रेलवे संपत्ति और ट्रैक की सुरक्षा भी खतरे में है।

उनका कहना है कि इस इलाके से रोजाना गुजरने वाली ट्रेनों पर भी इसका असर पड़ सकता है।फिलहाल स्थिति गंभीर बनी हुई है, लेकिन रेलवे और जिला प्रशासन की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। ग्रामीणों की मांग है कि आग पर तुरंत काबू पाया जाए, प्रदूषण नियंत्रण के पुख्ता इंतज़ाम हों और इस “काले खेल” में शामिल माफिया और अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।