करीब 4सौ वर्षों से चली आ रही परंपरा के तहत एक दिन पूर्व ही होलीका दहन का आयोजन राम मंदिर में होता है
रांची
झारखंड की पहली होलिका का आयोजन रांची के चुटिया के राम मंदिर प्रांगण मे सम्पन्न हुई।करीब 4सौ वर्षों से चली आ रही परंपरा के तहत एक दिन पूर्व ही होलीका दहन का आयोजन राम मंदिर में होता है। पाहन और मंदिर के महंत द्वारा पूरे विधि विधान से चुटिया राम परिसर में अगजा का आयोजन किया गया।

1685 ई0 से ही नागवंशी राजाओं ने होलिका दहन की परंपरा शुरू की थी, जो अब तक चली आ रही है। जहां नागवंशी राजा के द्वारा होलिका के एक दिन पहले ही होलिका दहन का आयोजन किया जाता था। एक दिन पूर्व राजा होलिका दहन करते थे जिसके बाद अगले दिन प्रजा और आज भी वो परंपरा चली आ रही है। झारखंड में सबसे पहले होलिका दहन का आयोजन चुटिया के राम मंदिर प्रांगण रंगोत्सव के 2 दिन पूर्व होता है। होलिका दहन से पहले पाहन आकर पूरे विधि के साथ होलिका की पूजा करते है और फिर अरंडी की डाली काट वहां से चलेजाते है और पीछे मुड़कर भी नही देखते उसके बाद मंदिर के महंत पूरे विधि विधान से पूजा करते है। आरती होती है और फिर होलिका में अग्नि दी जाती है जिसके बाद श्रद्धालु होलिका की परिक्रमा करते है। हालांकि इस दौरान रंगारंग कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता रहा है लेकिन कोविड को देखते हुए इस वर्ष इस तरह के आयोजन से परहेज किया गया। जानकारी के अनुसार नागवंशी शाशन काल मे चुटिया को राजधानी बनाया गया था और समय सेहोलिक का आयोजन किए जानेकी परंपरा थी और जब नागवंशी राजा यहां से चलेगए तो इसकी जिम्मेवारी मंदिर के महंत को दे दी गई।