“जमशेदपुर को चलाने के लिए दो समितियों की क्या जरूरत?” — आशुतोष राय ने सरकार पर उठाए सवाल
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न्यूज टेल डेस्क: प्रशासनिक भ्रम और दोहरी व्यवस्था पर सवाल। जनता दल (यू) के वरीय नेता और स्वर्णरेखा क्षेत्र ट्रस्ट समिति के ट्रस्टी आशुतोष राय ने जमशेदपुर औद्योगिक नगरी समिति (JINS) के गठन पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि जब जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति (JNAC) पहले से काम कर रही है, तो JINS के गठन की क्या जरूरत थी? उन्होंने दोहरी व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए पूछा कि अगर औद्योगिक समिति का गठन कर दिया गया है और उसका प्रशासक भी नियुक्त हो गया है, तो फिर JNAC को भंग क्यों नहीं किया गया? इस स्थिति ने न केवल जनता बल्कि प्रशासन के अंदर भी भ्रम पैदा कर दिया है।

पारदर्शिता, एसओपी और कर्मचारियों का भविष्य अनिश्चित।
आशुतोष राय ने आरोप लगाया कि औद्योगिक नगरी समिति का गठन बिना किसी स्पष्ट SOP या जन जानकारी के किया गया। उन्होंने कहा कि ना तो कर्मचारियों के विलय पर कोई अधिसूचना जारी हुई, और ना ही यह स्पष्ट किया गया कि जेएनएसी के 250 संवेदकों और अधिकारियों की आगे क्या भूमिका होगी। समिति में कंपनी प्रतिनिधियों की संख्या सरकार और जनता के प्रतिनिधियों से अधिक होने पर भी राय ने आपत्ति जताई और कहा कि इससे हितों का टकराव हो सकता है। उन्होंने यह भी पूछा कि जो इलाके टाटा लीज एरिया से बाहर हैं, उनकी साफ-सफाई, सड़क, नाली और पानी की व्यवस्था कौन करेगा?

टैक्स, फंड और जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर चिंता।
राय ने यह भी जानना चाहा कि क्या 86 (वास्तव में 144) बस्तियों से होल्डिंग टैक्स वसूला जाएगा, और अगर हां, तो क्या उन्हें मालिकाना हक भी मिलेगा? उन्होंने कहा कि टाटा स्टील जो सुविधा देगी, उसका अंशदान और ऑडिट प्रक्रिया भी स्पष्ट नहीं है। जनप्रतिनिधियों के लिए भी स्थिति अस्पष्ट है कि वे अब अपनी अनुशंसा किसे भेजें और एमपी-एमएलए फंड का उपयोग कैसे होगा। राय ने सरकार से मांग की कि जिला प्रशासन, स्थानीय जनप्रतिनिधियों और टाटा स्टील के अधिकारियों के साथ बैठक कर SOP तैयार किया जाए और उसे सार्वजनिक किया जाए ताकि शहर की शासन व्यवस्था में पारदर्शिता बनी रहे।