भारत में वन नेशन-वन इलेक्शन लाने के पीछे का क्या है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मकसद?
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प्रधानमंत्री ने कई बार एक देश एक चुनाव का खुले तौर पर समर्थन किया हैं. इस पर फिर हलचल होने के बाद पीएम मोदी का एक पुराना भाषण ट्रेंड हो रहा है।
क्या भारत में एक देश-एक चुनाव संभव है? मोदी सरकार द्वारा संसद का विशेष सत्र बुलाया गया जिसमे एक देश एक चुनाव से जुड़ा बिल पेश किया किया गया। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके प्रमुख समर्थक रहे।
प्रधानमंत्री ने कहा था, “1952 से लेकर आजतक चुनाव में रिफॉर्म होते रहे हैं और होते रहने चाहिए. इसको लेकर चर्चा भी जरूरी है. लेकिन एक देश एक चुनाव को सीधा नकार देना गलत है, हर नेता इस बात की चर्चा करता है कि एक देश एक चुनाव होना चाहिए, ताकि 5 साल में एक बार चुनाव हो और काम आसान हो”।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा था, “कम से कम देश में एक मतदाता सूची तो हो, आज हर चुनाव में अलग सूची बनती है. पंचायत चुनाव वाली जो सूची होती है, वो सबसे कारगर होती है. ऐसे ही पोलिंग स्टेशन को लेकर भी है, हर व्यक्ति को उसके पोलिंग स्टेशन के बारे में पहले से ही पता होना चाहिए”।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा था कि देश में पहले भी एक देश एक चुनाव हुए हैं और इसका सबसे ज्यादा फायदा कांग्रेस को ही हुआ है. प्रधानमंत्री ने कई ऐसे मौकों पर एक देश एक चुनाव का खुला पक्ष रखा है. कोरोना काल के दौरान एक संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा था कि एक देश एक चुनाव भारत की जरूरत है।
देश में अभी तक चार बार ही लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ में हुए है, ये आजादी के तुरंत बाद वाले चार चुनाव में हुआ था. उस दौरान कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी और दोनों ही जगह कांग्रेस को बड़ा लाभ हुआ था, लेकिन अब फिर से देश में इसको लेकर गंभीर चर्चा शुरू हो गई है. मोदी सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है, जो एक देश एक चुनाव पर अपनी राय भारत सरकार को बताएगी।