जमशेदपुर लोकसभा सीट में यह मुद्दे होंगे मुख्य फैक्टर, 2014 से नहीं हुई जनता की कई मांगें पूरी, पढ़ें पूरी ख़बर..
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न्यूज़ टेल/जमशेदपुर: (साहिल अस्थाना) जमशेदपुर औद्योगिक नगरी है। लौहनगरी के नाम से विश्व में प्रसिद्ध जमशेदपुर का सूबे में अहम स्थान है। जमशेदपुर कोल्हान प्रमंडल का महत्वपूर्ण शहर है। लोकसभा चुनाव में जमशेदपुर सीट से भाजपा ने तीसरी बार विद्युत वरण महतो को प्रत्याशी घोषित किया है। वहीं इंडिया गठबंधन अब तक प्रत्याशी के नाम का ऐलान नहीं कर पाई है। जाहिर है कुर्मी फैक्टर जमशेसपुर लोकसभा सीट में सबसे अहम है। लेकिन इस बात को भी नहीं नकारा जा सकता है की कई ऐसे मुद्दे हैं जो जमशेदपुर के जनता की लंबे समय से मांग रही है परंतु आज भी उन मांगों को पूरा कर पाने में विफलता ही मिली है। ऐसे में इस बार मुद्दों पर वोट दी जाएगी। ऐसे मुद्दे जो बीते दस साल में पूरे नहीं हो पाए हैं। आइए जानते हैं ऐसे कौन से मुद्दे हैं –
धालभूमगढ़ एरयपोर्ट निर्माण का मुद्दा फिर बरकरार
धालभूमगढ़ एयरपोर्ट का प्रस्ताव केंद्र सरकार ने निरस्त कर दिया था, पर नए सिरे से भी प्रक्रिया शुरू की गई है, लेकिन प्रगति की बात की जाए तो स्थिती जस की तस है। अभी एयरपोर्ट का प्रस्ताव फाइलों में सिमटा हुआ है। एक तरह से धालभूमगढ़ में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर फिलहाल विराम लगता दिख रहा है। धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट इसलिए लोग चाह रहे हैं, क्योंकि इससे जमशेदपुर सहित पूरे झारखंड के साथ ओडिशा व बंगाल को भी फायदा होगा। यह तीन राज्यों से सटा हुआ है। एयरपोर्ट बनने पर यह स्थान औद्योगिक व व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र बन जाएगा। इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता। धालभूमगढ़ एयरपोर्ट का शिलान्यास जनवरी 2019 में तत्कालीन नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने किया था। इसके बाद 100 करोड़ रुपये भी दिए गए थे, जिससे हवाई अड्डा को विकसित किया जा सके, लेकिन काम शुरू नहीं हो पाया।
रेलवे की जमीन पर बने मकान नहीं हुए नियमित
रेलवे की जमीन पर अवैध रूप से अतिक्रमण कर 20-22 वर्ष से रहने वाले लोगों के लिए विधायक, सांसद, मुखिया सड़क, बिजली, पानी, नालियों की व्यवस्था करवाते रहे हैं। वोट बैंक की खातिर ये प्रतिनिधि सरकारी व रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण करने वालों के पक्ष में सड़क पर धरना व प्रदर्शन तक करने को तैयार रहते हैं। 2019 के चुनावी सभा में रेलवे की जमीन पर बने मकानों को नियमित करने के प्रस्ताव पर बातचीत का आश्वासन दिया गया था, जो आजतक संभव नहीं हो पाया। वहीं, पटमदा और बोड़ाम एरिया में रेलवे लाइन बिछाने की पुरानी मांग है।
मानगो और एनएच पर नहीं बन पाया फ्लाईओवर
मानगो के लोग एक दशक से जाम का सामना करते हुए आवागमन कर रहे हैं। मानगो के लोगों को टाउनशिप इलाके में कामकाज के लिए आने-जाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। कई बार एंबुलेंस जाम में फंसने के कारण मरीजों की जान बचानी मुश्किल हो जाती है। वहीं, एनएच-33 पर पारडीह से लेकर बालीगुमा तक एलिवेटड पुल का प्रस्ताव तैयार हुआ। कई बार डिजाइन में बदलाव हुआ पर आजतक निर्माण शुरू नहीं हो पाया।
सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज, मल्टी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल का अभाव
2014 के चुनाव में लोगों ने मांग की थी कि चिकित्सा और उच्च शिक्षा के लिए लोगों को दूसरे राज्यों में जाना पड़ रहा है। अमूमन ढाई सौ करोड़ रुपये शिक्षा और तीन सौ करोड़ रुपये लोग दूसरे राज्यों में इलाज पर खर्च करते हैं। ऐसे में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज और मल्टी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल का घोर अभाव है। लोग सर्दी-खांसी तक का ही शहर में इलाज करा पाते हैं। कोई भी गंभीर बीमारी की पुष्टि होते ही लोग कोलकाता, भुवनेश्वर या चेन्नई का रुख कर लेते हैं। इन दोनों मुद्दों का आजतक समाधान नहीं
निकल पाया।
स्पष्ट है की जनता की इन मांगों को अब तक पूरा नहीं कर पाना सांसद विद्युत् वरण महतो की विफलता रही है। देखना ये होगा की इस बार जनता किस मूड में है।