तूफान ने किसानों की उम्मीदों पर फेरा पानी
राँची: यास तूफान ने किसानों पर कहर बरसा दी है। 48 घंटों की बारिश से खेतों में तैयार फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। फसल को तैयार होने में 4 माह का वक्त लगता है, इस दौरान किसान दिन रात मेहनत कर फसल को तैयार करते हैं। ऐसे में तूफान से हुई क्षति की भरपाई कर पाना किसानों के लिए मुश्किल साबित होता जा रहा है।

किसान पहले से कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन की मार झेल रहे थे, ऐसे मे जब लॉकडाउन खुलने कि उम्मीद जगी तो तूफान ने किसानों की वह एकमात्र उम्मीद भी खत्म कर दी, किसान के एक फसल की आमदनी दूसरी फसल की पूंजी होती है। महज कुछ दिनों बाद ही खरीफ फसल धान की बुवाई शुरू हो जाएगी। जिसकी खेती के लिए किसानों के पास पूंजी नहीं रह गई है, ऐसे मे किसान राज्य सरकार से मुआवजा देने की गुहार लगा रहे हैं। फसल बर्बाद होने का खामियाजा किसान तो भुगत ही रहे हैं, लेकिन इसका दूरगामी प्रभाव आम जनों पर भी पड़ेगा, दरअसल आम लोगों की मांग को जब स्थानीय किसानों की ओर से पूर्ति होती है तो उस समय सब्जियों के दाम सामान्य होते है। लेकिन जब दूसरे जिला और राज्य से मंगाकर पूर्ति की जाएगी तो उस परिस्तिथि में महंगाई बढ़ना तय है।