आतंकी साजिश: यूपी को दहलाने की साजिश नाकाम दो आतंकी पकडाये एक की तलाश अब भी जारी
1 min readकुकर बंम द्वारा पूरे यूपी को दहलाने की साजिश नाकाम दो आतंकी पकडाये एक की तलाश अब भी जारी। छोटे स्तर के नेता थे इनके निशाने पर। अब सवाल यह उठता है कि कौन है इनका क्लास टीचर
लखनऊ: काकोरी कुकर कांड में बड़ा खुलासा हुआ है. एटीएस की रिमांड में चल रहे संदिग्ध आतंकी मिन्हाज और मशीरुद्दीन के मोबाइल में 12 वीडियो मिले हैं. दावा है कि, ये वीडियो उनके हैंडलर ने भेजे थे. वीडियो उन्माद से भरे हैं और युवाओं को बरगलाने वाले हैं. जानकारी के मुताबिक, इन वीडियो का इस्तेमाल अलकायदा और उसके इंडियन मॉड्यूल अंसार गजवातुल हिन्द के आका भी कर रहे हैं. एटीएस को इन दोनों की कॉल डिटेल से पता चला है कि अधिकतर कॉल दिल्ली मेरठ, हरदोई, बरेली और कानपुर में की गई हैं. कानपुर में सबसे ज्यादा कॉल 8 और 9 जुलाई को हुई हैं. इन कॉल डिटेल्स के आधार पर एटीएस ने अलग से जांच शुरू कर दी है. इसके लिए एटीएस की 3 टीमों को अलग-अलग जिलों में भेजा गया है. मिन्हाज ने 4 बार नेपाल में 2 अलग अलग लोगों से बात की है. इनकी जानकारी भी जुटाई जा रही है. आतंकियों का क्रैश कोर्स डिकोड, आतंक के पाँच पाठ पढ़ाए गए लखनऊ के काकोरी से पकड़े गए दोनों संदिग्ध आतंकी अभी ATS की कस्टडी रिमांड में हैं. दोनों आतंकियों ने कई राज उगले हैं. आतंक का वो क्रैश कोर्स डिकोड हो गया है. जिसका इस्तेमाल आतंक के आका युवाओं को बरगलाकर आतंक की दुनिया में धकेलने के लिए करते हैं. पहले चरण में पर्सनल चैटिंग की जाती है. सोशल मीडिया पर चैट के आधार पर हैंडलर सवाल जवाब से टोह लेता है. उसके बाद माइक्रो कम्युनिटी जहां पहचान के बाद गिरोह को जानकारी दी जाती है. भाई जान बताकर जेहाद की ललकार की जाती है. फिर फिजिकल कॉन्टैक्ट की बारी आती है जहां संतुष्ट होने के बाद मिलने के लिए बुलावा दिया जाता है. इसके बाद सबको अलग-अलग टास्क दिया जाता है. टास्क में पास होने के बाद हैंडलर की मीटिंग होती है, फिर ऑपरेशन को अंजाम देने का वक़्त आता है. इसमें हमले की पूरी साज़िश की तैयारी की जाती है. बताया जाता है कब और कहां हमला करना है. अंत में AQIS इनेबल्ड की बारी आती है, इस प्रक्रिया में जो युवा आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं, उन्हें AQIS इनेबल्ड कहा जाता है. खुलासा- मई में ही उत्तर प्रदेश में सीरियल ब्लास्ट करने वाले थे अल कायदा से जुड़े आतंकियों से पूछताछ में कई चौंका देने वाले खुलासे हुए हैं. जिसके मुताबिक ये आतंकी मई में ही उत्तर प्रदेश में सीरियल ब्लास्ट करने वाले थे, लेकिन कोरोना की वजह से उन्हें भीड़भाड़ वाली जगह नहीं मिली. इसके बाद आतंकियों ने जुलाई के तीसरे हफ्ते को चुना, लेकिन उससे पहले वो सलाखों के पीछे पहुंच गए.