आंसू मेरी कमजोरी नही बल्कि मेरा समर्पण का संकल्प है : अमर बाउरी
राँची : मुझे बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर के संविधान के पवित्र मंदिर विधानसभा में प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला और यह सरकार संविधान और झारखंड विधानसभा के नियमावली के अनुरूप विधायक के अधिकार के तहत पूछे गए प्रश्न और व्यवस्था को दबा रही है। यह कांग्रेस, जेएमएम और आरजेडी के उस मानसिकता को दर्शाती है जिसमे वे दलितों को मात्र वोट बैंक और अपने पैर की धूल समझते है। दलित अब चुप नही बैठेगा, दलित अब अपनी आवाज को बुलंद कर सड़क से सदन तक की लड़ाई लड़ेगा। आंसू मेरी कमजोरी नही बल्कि मेरा समर्पण का संकल्प है। एक विधायक होने के नाते यह मेरा संकल्प है कि दलितों की आवाज के लिए मैं सड़क से सदन तक की लड़ाई लड़ूंगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संरक्षण और बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान से मिले हक और अधिकार के साथ दलितों की आवाज को बुलंद करता रहूंगा। मेरा गुनाह यह है कि मैंने जो दलितों और धर्मपरिवर्तन को लेकर जो आवाज उठायी है, उससे तिलमिलाई हुई हेमंत सोरेन की सरकार बौखला गयी है। मैंने बुधवार को विधानसभा में नमाज के लिए कमरा आवंटन और नियोजन नीति को लेकर निकाले गए विधान सभा घेराव कार्यक्रम में जिस तरह से पुलिस ने सरकार के इशारे पर बर्बरता पूर्ण लाठी चार्ज किया, महिलाओं को टारगेट कर उनपर जानलेवा हमला किया गया, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और भाजपा विधायक दल के नेता बाबुलाल मरांडी पर जानलेवा हमला हुआ। इन सभी मुद्दों को लेकर आज मैंने कार्यस्थगन प्रस्ताव लाया था। लेकिन विधान सभा अध्यक्ष ने मेरे कार्यस्थगन प्रस्ताव पढ़ा तक नही। सदन के अंदर मैं चीखता रहा, चिल्लाता रहा, आसान से मिन्नते करता रहा लेकिन आसान ने मेरी बातों को नजर अंदाज कर दिया।