June 15, 2025

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Research :कोरोना वैक्सीन कितने महीने देती है सुरक्षा, बूस्टर वैक्सीन क्यों है जरूरी?

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Research: How many months does corona vaccine give protection, why is booster vaccine necessary?

वॉशिंगटन.  वैक्सीन से मिला प्रोटेक्शन ज्यादा समय तक शरीर को इस खतरनाक वायरस के खिलाफ सुरक्षा नहीं दे पाता. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि वैक्सीन इस वायरस के प्रति शरीर में अपने आप बनी इम्युनिटी से बेहतर सुरक्षा प्रदान करती है. हालांकि ये वायरस समय के साथ खुद को बदल रहा है. ऐसे में शरीर में इसके खिलाफ बनी इम्युनिटी भी ज्यादा समय तक काम नहीं कर पाती. मतलब ये कि अगर इस वायरस की चपेट में फिर आने से बचना है तो वैक्सीन की बूस्टर डोज लेनी ही पड़ेगी. इस स्टडी में ये भी पता लगाया गया कि कौन सी वैक्सीन कितने समय तक शरीर को कोरोना वायरस से बचा पाती है.

इन्फेक्शन से बचाने के लिए एंटीबॉडी की तुलना में वैक्सीन से अच्छी प्रतिरक्षा मिलती

‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज’ (पीएनएएस) की ये स्टडी 15 जून को प्रकाशित हुई है. इसमें बताया गया है कि कोरोना वायरस के इन्फेक्शन से बचाने के लिए एंटीबॉडी की तुलना में वैक्सीन से अच्छी प्रतिरक्षा मिलती है, इसलिए बूस्टर वैक्सीन लेना आवश्यक है. इस अध्ययन में इस बात की पड़ताल की गई कि SARS-CoV-2 के खिलाफ टीकों से मिली इम्युनिटी कब तक काम करती है और शरीर के अंदर एंटीबॉडी से अपने आप बनी प्रतिरोधक क्षमता कब घटने लगती है. कोरोना से निपटने की प्रभावी रणनीति बनाने के लिए इस बात की जानकारी बेहद जरूरी है.

इम्युनिटी औसतन 21.5 महीनों तक सुरक्षा प्रदान करती

जेफरी पी. टाउनसेंड और उनके सहयोगियों ने तुलनात्मक विकासवादी विश्लेषण का इस्तेमाल करके समय बीतने के साथ प्रतिरक्षा कम होने और संक्रमण की चपेट में आने की संभावना का अनुमान लगाया. इसके लिए उन्होंने कोरोना संक्रमण के डाटा, फिर से कोरोना की चपेट में आने के आंकड़ों, प्राकृतिक प्रतिरक्षा बनने के बाद एंटीबॉडी के घटते स्तर और वैक्सीन के प्रभावों का अध्ययन किया. विश्लेषण के दौरान 4 सामान्य कोरोना वैक्सीन के वायरस के स्पाइक प्रोटीन IgG के हमले से निपटने की एंटीबॉडी की क्षमता पर भी गौर किया गया.

एएनआई के मुताबिक, अध्ययन से पता चला कि एक बार कोरोना की चपेट में आने के बाद शरीर में बनी प्राकृतिक इम्युनिटी औसतन 21.5 महीनों तक सुरक्षा प्रदान करती है. वहीं, फाइजर बायोएनटेक और मॉडर्ना की एमआरएनए वैक्सीन ने प्राकृतिक संक्रमण की तुलना में एंटीबॉडी का स्तर बढ़ाने में मदद की, जिसने करीब 29.6 महीनों तक कोरोना संक्रमण से सुरक्षा प्रदान की.

निर्धारित समय के बाद इसकी बूस्टर डोज लेना जरूरी

शोध के दौरान देखा गया कि ऑक्सफ़ोर्ड एस्ट्राजेनेका और जॉनसन एंड जॉनसन द्वारा बनाई गई वायरल वेक्टर वैक्सीन से प्राकृतिक प्रतिरक्षा जितनी ही एंटीबॉडी तैयार हुईं. इन्होंने क्रमशः 22.4 महीने और 20.5 महीने तक संक्रमण से बचाव किया. इस शोध के निष्कर्षों के आधार पर वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस से बचाव करना है तो वैक्सीन की दो डोज लेना ही पर्याप्त नहीं है. निर्धारित समय के बाद इसकी बूस्टर डोज लेना जरूरी है.

बता दें कि भारत सरकार ने 18 से 59 साल की उम्र के लोगों के लिए कोरोना का बूस्टर डोज मुफ्त में लगवाने का अभियान शुरू किया है. इसके तहत 75 दिनों तक बिना पैसे दिए सरकारी केंद्रों पर ये बूस्टर डोज लगवाई जा सकती है. इससे पहले 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को ही फ्री में बूस्टर डोज लगाई जा रही थी.

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