रथ यात्रा 2025: रांची में जीवंत हुई ऐतिहासिक परंपरा, राजपरिवारों और ग्रामीणों ने निभाई आस्था की 250 साल पुरानी विरासत
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रांची:रांची जिले में इस वर्ष की रथ यात्रा ने एक बार फिर भगवान जगन्नाथ की भक्ति और झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को जीवंत कर दिया। रांची के रातू, इटकी, तोरपा और जरियागढ़ इलाकों में रथ यात्रा की ऐतिहासिक परंपराएं देखने को मिलीं, जहां राजपरिवार और ग्रामीण समुदाय ने मिलकर भव्य आयोजन किया। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने ढोल-मृदंग, जयकारों और भक्ति भाव से पूरे माहौल को भक्तिमय बना दिया।

रातू के राजमहल स्थित श्रीजगन्नाथ मंदिर से रथ यात्रा निकाली गई, जिसकी शुरुआत 1899 में महाराजा प्रताप उदयनाथ शाहदेव ने की थी। यह रथ मंदिर से 500 मीटर दूर मौसीबाड़ी (शिव मंदिर) तक जाता है। वहीं इटकी में 250 वर्षों से चली आ रही परंपरा को अब भी जमींदार परिवार की पांचवीं पीढ़ी निभा रही है। यहां 80 फीट ऊंचे मंदिर से रथ यात्रा निकलती है, जिसे देखने हजारों श्रद्धालु उमड़ते हैं।

तोरपा में बड़ाइक परिवार और जरियागढ़ में राजपरिवार तथा ग्रामीणों के सहयोग से दो रथ यात्राएं निकाली गईं। जरियागढ़ की विशेषता यह रही कि भगवान को कटहल का विशेष महाप्रसाद चढ़ाया गया। इन सभी इलाकों की परंपराएं स्थानीय संस्कृति, सामाजिक समरसता और धार्मिक आस्था की मजबूत तस्वीर पेश करती हैं। रथ यात्रा के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे, जिसमें ड्रोन और सीसीटीवी की निगरानी भी शामिल रही।