September 16, 2025

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निजी स्कूलों की मनमाना फीस वृद्धि के खिलाफ, अभिभावक संघ उतरा मैदान में

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कोविड-19 गाइडलाइन का पालन करते हुए शांतिपूर्ण मौन प्रदर्शन

राँची : झारखंड में निजी स्कूलों की मनमानी और लॉक डाउन में बिना क्लास के ट्यूशन फीस में 10% से ज्यादा बढ़ोतरी के खिलाफ और स्कूलों पर सरकार द्वारा नकेल कसने की मांग और मनमाना फीस वृद्धि को वापस लेने।की।माग को।लेकर झारखंड अभिभावक संघ ने मुहिम छेड़ रखा है। झारखंड अभिभावक संघ अपने मुहिम “सात वार सात गुहार”के तीसरे दिन राँची के विधायक और पूर्व मंत्री सीपी सिंह जी के आवास पर मौन प्रदर्शन किया गया और ज्ञापन की कॉपी विधायक को सौंप विधायक से इसपर समर्थन की मांग की । ताकि लॉक डाउन में आर्थिक तंगी से गुजर रहे झारखंड के अभिभावकों को थोड़ी राहत मिल सके। वही इस अवसर पर सीपी सिंह ने कहा कि अभिभावकों की पीड़ा को समझ सकते है आज हर ब्यक्ति कोरोना के समय परेशान है, एक विधायक के नाते जो भी प्रयास हो सकता है उसको करने का प्रयास करूंगा ।उन्होंने कहा कि स्कूलों के ऊपर लगाम लगाने की पहल सरकार को करनी चाहिए। साथ ही कहा कि रांची उपायुक्त के द्वारा आदेश निकाल कर वापस लेना जांच का विषय है जिसकी जांच होनी चाहिए। राज्य का हर तबका कोरोना की वजह से आर्थिक तंगी से गुजर रहा है. खर्च बढ़े हैं और आमदनी कम हुई है. ऐसे आर्थिक अस्थिरता के दौर में अभिभावकों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. जहां घर खर्च तक चलाना मुश्किल हो रहा है, वहीं निजी स्कूलों की बढी हुइ फीस के वसूली के शिकार भी होना पड़ रहा है. नये एकेडमिक इयर में 12 फीसदी तक फीस बढ़ोतरी कर दी है. बढी हुइ फीस के अतिरिक्त स्कूल कई प्रकार के शुल्क भी वसूल रहे है जैसे एनुअल चार्ज, बिल्डिंग चार्ज, मिसलिनियस चार्ज, कंप्यूटर चार्ज, गेम्स चार्ज, सिक्यूरिटी चार्ज, सीसीटीवी चार्ज, स्कूल चार्ज, एसएमएस चार्ज, मेडिकल चार्ज, आउटरिच चार्ज, डेवलपमेंट चार्ज. आदि. कोरोना की पहली लहर के दौरान सत्र 2020-21 के लिए फीस वृद्धि पर राज्य सरकार ने रोक लगा दी थी. सरकार ने आदेश दिया था कि जब तक स्कूल नहीं खुलेगा, तब तक केवल ट्यूशन फीस ही लेनी है. मासिक ट्यूशन फीस में भी वृद्धि नहीं करनी है. यह निर्देश उन स्कूलों के लिए था, जो ऑनलाइन क्लास चला रहे थे. जो स्कूल ऑनलाइन कक्षाएं संचालित नहीं कर रहे हैं, उन्हें ट्यूशन फीस भी नहीं लेनी है. लेकिन नये सत्र 2021-22 के लिए सरकार ने इस तरह का कोई आदेश जारी नहीं किया, जबकि स्कूल अब भी नहीं खुले हैं और ऑनलाइन कक्षाओं का ही संचालन हो रहा है. ऑनलाइन क्लासे के मामले में भी विगत एक वर्षों में इन स्कूलो के द्वारा किसी भी प्रकार का सुधार नहीं किया गया है।

झारखंड अभिभावक संघ की मांग है की….

  1. झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम – 2017 को राज्य के हर जिले में प्रभावी बनाया जाए, ताकि कोई भी स्कूल अपने मन मुताबिक ट्युसन फ़ीस में बढ़ोतरी या किसी अन्य मद में फीस वसूली नहीं कर सके. इसके लिए झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 के एक्ट के तहत स्कूल पेरेंट्स- टीचर एसोसिएशन का गठन अनिवार्य रूप मे करे, जिनके अनुशंसा पर ही शुल्क निर्धारण कमेटी जिला स्तर पर बनाइ जानी है, जिसके अध्यक्ष उस जिले के उपायुक्त होते हैं. कमेटी के अनुमोदन के बाद ही कोई स्कूल फीस को लेकर निर्णय ले सकती है, अन्यथा उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई का प्रावधान एक्ट में बनाया गया है. इस एक्ट को प्रभावी बनाया जाए
  2. किसी भी स्कूल के द्वारा बच्चों को फ़ीस के एवज में ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित करना अनैतिक एवं स्कूल मैनेजमेंट की मानसिक दिवालियापन को दर्शाता है. जिस पर रोक लगनी चाहिए.
  3. झारखंड सरकार का आदेश, जो पिछले साल पत्रांक संख्या 13/वी 12-55/2019 दिनांक 25/06/2020 को निकाला गया था, वह आज भी प्रभावी है. उक्त आदेश के अनुसार निजी स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा अन्य मद में फीस नहीं ले सकता. मगर वर्तमान में स्कूलों ने उस आदेश को ताक पर रखकर हर तरह की फीस वसूलने का काम कर रहे हैं. इस संबंध में सरकार की ओर से पुनः एक आदेश जारी किया जाना चाहिए ताकि कोरोना महामारी के दौरान आर्थिक रूप से कमजोर और बेरोजगार हुए अभिभावकों को कुछ राहत मिल सके।
  4. सभी संबद्धता प्राप्त स्कूलों के पिछले 5 साल के आय-व्यय का ब्यौरा की समीक्षा सरकार कराएं. आर्थिक रूप से कमजोर स्कूल को सरकार सहयोग करें, जिससे कि उनके यहां काम करने वाले शिक्षक- शिक्षकेतर को वेतन मिल सके और सरप्लस में चलने वाले स्कूल जिन के विभिन्न अकाउंट में आज भी करोड़ों रुपए फिक्स डिपाजिट हैं. वैसे स्कूलों के ऊपर विभिन्न मदों में लिए जाने शुल्क पर लगाम लगाया जाए।
  5. केंद्र एवं राज्य सरकार के द्वारा लीज पर उपलब्ध कराए गए जमीन पर खुले स्कूलों को ट्यूशन फीस के अलावे विभिन्न मदों में लिए जाने वाले शुल्क पर रोक लगाए जाने को लेकर राज्य सरकार हस्तक्षेप करें. ताकि झारखंड के लाखों लाख अभिभावकों को स्कूलों द्वारा किए जा रहे शोषण से मुक्ति मिल सके।

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