महात्मा ज्योतिबा फुले जयंती 2025: एक महान समाज सुधारक की कहानी
महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती हर वर्ष 11 अप्रैल को मनाई जाती है। उनका जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले के कटगुन गांव में हुआ था। वह एक प्रसिद्ध समाज सुधारक, विचारक और सामाजिक कार्यकर्ता थे। उन्होंने जाति व्यवस्था और सामाजिक असमानता के खिलाफ आवाज उठाई और लड़कियों की शिक्षा, विधवा पुनर्विवाह और जातिवाद के खिलाफ संघर्ष किया।

महात्मा फुले ने अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर पुणे के भिड़े वाड़ा में देश का पहला स्वदेशी स्कूल खोला, जो खासतौर पर लड़कियों के लिए था। उन्होंने ‘सत्यशोधक समाज’ नामक एक संगठन की भी स्थापना की, जिसका उद्देश्य जातिगत भेदभाव को खत्म करना और निम्न वर्गों के लोगों को न्याय दिलाना था।

महात्मा फुले ने अपनी शिक्षा के माध्यम से समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने ‘गुलामगिरी’ नामक पुस्तक लिखी, जिसमें उन्होंने गुलामी की समस्या पर चर्चा की। उनके कार्यों से प्रभावित होकर समाज सुधारक विट्ठलराव कृष्णाजी वंदेकर ने उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि दी।महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती हमें उनके कार्यों और संघर्षों की याद दिलाती है। उनकी विरासत आज भी हमें प्रेरित करती है और हमें समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रोत्साहित करती है।