75 सालों से अधिकार से वंचित कुड़मी समाज अब मैदान में, कहा – ‘अब हक लेकर रहेंगे’
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जमशेदपुर:झारखंड में एक बार फिर सामाजिक हलचल तेज हो गई है। 75 वर्षों से अपने अधिकार से वंचित रहे कुड़मी समाज ने अब स्पष्ट संदेश दे दिया है — “अब हम अपने अधिकार लेकर रहेंगे।

” दरअसल, हाल के दिनों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद कुड़मी समाज को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल करने की प्रक्रिया को लेकर चर्चा तेज हो गई थी।

इसी के चलते आदिवासी संगठनों ने इसके विरोध में आंदोलन शुरू कर दिया है।आदिवासियों के इस आंदोलन को लेकर कुड़मी नेताओं ने भी मोर्चा खोल दिया है। उनका कहना है कि “आज जो आंदोलन हमारे खिलाफ किया जा रहा है, वह राजनीतिक साजिश का हिस्सा है।” कुड़मी नेताओं ने साफ कहा है कि अब संघर्ष रुकने वाला नहीं है — “हमने रेल रोका, सड़कें जाम कीं, और आने वाले दिनों में इससे भी बड़ा आंदोलन देखने को मिलेगा।

”इसी क्रम में समाज ने 23 नवंबर को जमशेदपुर की धरती पर ‘जन आक्रोश रैली’ आयोजित करने का ऐलान किया है, जिसमें लाखों लोगों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।

इस रैली को कुड़मी समाज अपने अधिकारों की निर्णायक लड़ाई के रूप में देख रहा है।साफ है कि झारखंड की सियासत में एक बार फिर कुड़मी बनाम आदिवासी आंदोलन ने गर्मी बढ़ा दी है। आने वाले हफ्तों में यह मुद्दा प्रदेश की राजनीति और सामाजिक संतुलन — दोनों को झकझोर सकता है।
