November 5, 2025

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JHARKHAND: मुखिया जी का पावर बढ़ेगा, पांच लाख तक की योजना कर सकेंगे स्वीकृत

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पंचायती राज विभाग तैयार कर रहा प्रस्ताव

Ranchi: झारखंड में पंचायती राज व्यवस्था के तहत मुखिया की वित्तीय शक्ति फिर बढ़ेगी. लाभुक समिति के माध्यम से योजना की स्वीकृति देने की अधिसीमा बढ़ायी जायेगी. राज्य सरकार पूर्व की भांति मुखियाओं को पांच लाख तक की योजना की स्वीकृति देने पर विचार कर रही है. पांच लाख के ऊपर की योजना की स्वीकृति टेंडर के जरिये की जायेगी. पंचायती राज विभाग इस आशय का प्रस्ताव तैयार कर रहा है. विभागीय मंत्री,सीएम की सहमति के बाद इस संबंध में आदेश जारी किया जायेगा।बतातें चलें कि राज्य में वर्तमान में पंचायती राज व्यवस्था को अवधि विस्तार दिया गया है. दिसंबर माह तक चुनाव कराया जाना है. पंचायतों के पास बड़ी राशि पड़ी है. एक अनुमान के अनुसार एक-एक पंचायत में 30 लाख रुपये तक पड़े हैं. ऐसे में 4421 पंचायतों में अरबों की राशि पड़ी है. सरकार ने कार्यकारी समिति के जरिये चुनाव होने तक पंचायत का काम कराने का निर्णय लिया है. ऐसे में सरकार प्रक्रियाओं में सुधार कर राशि को तेजी से खर्च करने पर विचार कर रही है।

अभी 2.50 लाख तक की योजना स्वीकृत करने का अधिकार

झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार बनने के बाद दिसंबर 2020 में पंचायती राज विभाग ने एक आदेश निकाला था जिसमें 15वें वित्त आयोग अनुदान राशि के लिए पंचायत स्तर पर लाभुक समिति से योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए मुखिया के पावर को पांच लाख से घटाकर 2.50 लाख रुपये तक ही कर दिया गया था. इससे ऊपर की योजना के लिए टेंडर करने का प्रावधान रखा गया था. अब फिर से इसमें संशोधन की तैयारी चल रही है. 14वें वित्त आयोग अनुदान में झारखंड में पांच लाख रुपये खर्च का अधिकार था।

वेंडरों व मुखियाओं का भी दवाब

राज्य के पंचायतों में खर्च की अधिसीमा बढ़ाने के लिए कई मुखियाओं की ओर से सरकार को ज्ञापन सौंपा गया है. मनरेगा में अभी वे पांच लाख तक की योजना की स्वीकृति अपने स्तर से दे रहे हैं. मुखियागण 15वें वित्त आयोग में भी पांच लाख तक के खर्च का अधिकार लाभुकों समिति के माध्यम देने की मांग कर रहे थे. वहीं,वेंडरों के द्वारा सरकार के समक्ष कई बार अंदर ही अंदर दवाब दिया गया है. जलापूर्ति, सोलर लाइट योजनाओं में बड़े पैमाने पर पंचायतों में सामग्रियों का स्टॉक पड़ा हुआ है. टेंडर प्रक्रिया में आने के कारण कई दूसरे आपूर्तिकर्ता को भी मौका मिल रहा था. ऐसे में स्थानीय वेंडरों द्वारा सरकार से नियमों में सुधार कर पंचायत स्तर पर मुखिया की अध्यक्षता में कार्यकारी समिति को ही पांच लाख तक की योजना की स्वीकृति दिलाने का प्रयास कर रहे थे।।

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