September 17, 2025

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दिलचस्‍प है पटना के गोलघर के 236 साल इतिहास की कहानी !

Interesting is the story of 236 years history of Golghar of Patna!

बिहार : राजधानी पटना में स्थित ऐतिहासिक गोलघर 236 साल पुराना हो गया है. पटना आने वाले पर्यटकों के लिए अभी भी यह मुख्‍य आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. हर कोई एक बार गोलघर जरूर देखना चाहता है. गोलघर का निर्माण कार्य वर्ष 1786 में पूरा हुआ था.

आखिर गोलघर का निर्माण किसने कराया था?

लोगों के मन में अभी यह सवाल उठता है कि आखिर गोलघर का निर्माण किसने कराया था? गोलघर का निर्माण क्‍यों कराया गया था? गोलघर का शिल्‍पकार कौन था? ऐसे न जाने कितने सवाल हैं जो पर्यटकों के साथ ही आमलोगों के जेहन में चलते रहते हैं. आपके हर सवाल का जवाब यहाँ दिया जाएगा.

गोलघर का निर्माण अनाज के भंडारण के लिए कराया

अंग्रेजों ने गोलघर का निर्माण अनाज के भंडारण के लिए कराया था. समय के साथ गोलघर पटना की पहचान बन गया. पटना आने वाला हर शख्‍स सबसे पहले गोलघर को देखने की चाहत रखता है. गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्‍स को 20 जनवरी 1784 को खाद्यान्न के एक कारोबारी जेपी ऑरियल ने एक बड़ा अन्न भंडार बनाने की सलाह दी थी.

हेस्टिंग्‍स ने साल 1770 के अकाल का स्थाई समाधान तलाश रहे थे. उस अकाल में बिहार, बंगाल और ढाका में 10 लाख से अधिक लोग मारे गए थे.

कैप्‍टन जॉन गार्स्टिन को दी गई थी जिम्‍मेदारी

गोलघर के निर्माण की जिम्‍मेदारी वॉरेन हेस्टिंग्‍स ने बंगाल आर्मी के इंजीनियर कैप्‍टन जॉन गार्स्टिन को सौंपी थी. गोलघर के निर्माण के लिए गार्स्टिन ने बांकीपुर में अपना डेरा जमाया था. उस समय का बंगला गार्स्टिन साहब ही आज का बांकीपुर गर्ल्स हाई स्कूल है.

गोलघर का निर्माण 20 जुलाई 1786 को हुआ

आपको बता दें कि 236 वर्ष पुराने गोलघर का निर्माण राजधानी पटना के गांधी मैदान के पास 20 जुलाई 1786 को हुआ था. महज ढाई साल में ही गोलघर को बनवा दिया गया था. गोलघर का आकार 125 मीटर और ऊंचाई 29 मीटर है. गोलघर की दीवारें 3.6 मीटर मोटी हैं. इसमें एक साथ 1,40,000 टन अनाज रखा जा सकता है.

निर्माण में कई खामियां

बताया जाता है कि बनने के बाद ही इसमें खामियां सामने आने लगी थीं. इसके दरवाजे भीतर की ओर खुलते हैं. इसके चलते इसे कभी पूरा भरा नहीं जा सकता. दूसरी खामी यह है कि गर्मी के कारण इसमें अनाज जल्दी सड़ जाते थे.

लिहाजा इसे बनाने का उद्देश्य कभी पूरा नहीं हो सका. कभी अनाज संग्रह नहीं हुआ. तब अंग्रेजों ने इसके निर्माण में खामियों को गार्स्टिन की मूर्खता कहा था. इसके बावजूद गोलघर काफी लोकप्रिय है.

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