November 4, 2025

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इस तरह यूक्रेन से लौटीं भालुबासा की हीरा फातिमा सुनिए पूरी आपबीती फ़ातिमा की जुबानी

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जमशेदपुर : यूक्रेन से मंगलवार रात शहर लौटी भालुबासा की हीरा फातिमा ने कभी नहीं सोचा था कि वॉर से इतनी खराब स्थिति हो जाएगी। बातचीत करते हुए हीरा बताती हैं कि यूक्रेन में बॉर्डर की स्थिति काफी खराब बनी हुई है। सबको अपने वतन लौटने की इतनी जल्दबाजी थी कि इंसान के उपर इंसान चढ़कर जा रहे थे। हम कुल 15-20 लोग एक साथ बॉर्डर तक साथ आए थे लेकिन मेरे साथ सिर्फ दो लोग ही भारत लौट सके। कुछ ने एक से दो दिनों बाद बॉर्डर पार किया तो कुछ अभी भी वहीं फंसे हुए हैं। कई लोग वहीं पर बिछड़ जा रहे हैं। मेरे सामने दो बहनें अलग हो गईं। उस वक्त ऐसा लगा कि मैं बहुत ज्यादा अकेली हो गई हूं, लेकिन कुछ देर बाद मुझे मेरी एक दोस्त मिली, फिर एक और दोस्त मिली जिसके बाद हम भारत लौट सके।

फ्लाइट के इंतजार में फंसे हुए हैं बच्चे, हर वक्त बना हुआ है जान का खतरा

हीरा फातिमा यूक्रेन के शहर टर्नोपील में रह कर 2019 से मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैं। वह वहीं वॉर की स्थिति पर बात करते हुए कहती हैं कि वहां अन्य शहरों की तरह वॉर की स्थिति नहीं थी। हमारी क्लासेस ऑफलाइन चल रहे थे। प्रैक्टिकल एग्जाम्स होने थे लेकिन फिर एग्जाम कैंसिल हो गया। हमें जोर-जोर से अर्लट करने वाले सायरन की आवाज सुनाई देने लगी। लगातार सायरन बजने के बाद हम बंकर्स की तरफ पूरे राशन के साथ बढ़े। लेकिन कुछ ही घंटों बाद हम वापस अपने रूम चले गए। लेकिन बाकी शहरों खास कर कीव और खरकीव में बहुत डरावने हालात बने हुए हैं। हमारी ही यूर्निवसिटी के बहुत से बच्चे अब भी फ्लाइट के इंतजार में फंसे हुए हैं। वहां कब किसे क्या हो जाएगा ये किसी को नहीं पता है।

वीजा मिलने से लेकर वापस घर लौटने में इंडियन एंबेसी का काफी सहयोग रहा : हीरा फातिमा

वह आगे कहती हैं कि पहले घर से बोला जा रहा था इंडियन एंबेसी का इंतजार करो लेकिन सबको अपने घर जाता देख डर लग रहा था कि वॉर के बीच कोई हमें बचाने नहीं आएगा। इसलिए हम 15-20 लोगों ने एक साथ मिलकर बॉर्डर पार करने की सोची थी। इसके लिये हमें 20 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा। कहीं भी खाने को कुछ नहीं था. बर्फ गिर रही थी। वहां आने के बाद वीजा मिलने से लेकर वापस घर लौटने में इंडियन एंबेसी का काफी सहयोग रहा। कभी नहीं सोचा था कि हमें फ्री फ्लाइट का टिकट मिलेगा। स्थिति सामान्य होने के सवाल पर हीरा कहती हैं कि यह कह पाना मुश्किल है कि रूस जीतेगा या यूक्रेन रहेगा लेकिन अगर इस वॉर में भी इंसान बच गए तो वह अपनी पढ़ाई पूरी करने जरूर जाएगी।

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