भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने और अच्छी उपज पाने के लिए पिछले कुछ दशक में जैविक खेती का चलन बढ़ा
राँची : भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने और अच्छी उपज पाने के लिए पिछले कुछ दशक में जैविक खेती का चलन बढ़ा है। रांची की महिला कृषकों ने भी इस दिशा में काफी सराहनीय प्रयास किया है।
रांची जिले के राजा बेड़ा गांव की महिलाओं ने जैविक खेती पद्धति को अपनाकर इलाके में गांव की एक अलग पहचान बनाई है। रासायनिक खाद और कीटनाशक के दुष्प्रभाव को देखते हुए गांव किसानों ने रासायनिक उर्वरक से तौबा कर लिया है। इस गांव में पिछले 8 वर्षों से जैविक पद्धति से खेती की जा रही है। जैविक खेती को अपनाने के फायदे किसानों को अब समझ में आने लगे हैं।
गांव की एक महिला किसान बताती है कि इनके खेतों में अब भरपूर मात्रा में हरी साग सब्जी का उत्पादन होता है। कृषि क्षेत्र में महिलाओं के कदम आगे बढ़ाने और जैविक पद्धति को अपनाने से गांव समृद्धि की राह पर चल पड़ा है। आय में वृद्धि होने से बच्चों की पढ़ाई लिखाई से लेकर घर की जरूरतों को पूरा करना इनके लिए अब आसान हो गया है।जैविक खेती कृषि की वह पद्धति है जिसके तहत फसल चक्र और कंपोस्ट खाद का प्रयोग किया जाता है। ऐसा करके किसान अपने खेतों को उर्वरा तो बनाते ही है, कृषि उत्पाद भी स्वास्थ्य के अनुकूल होती है।