एयरटेल के शेयर में भारी गिरावट ,अडानी की टेलिकॉम में एंट्री से ‘हड़कंप’,
भारतीय शेयर बाजार : सोमवार सुबह भारतीय शेयर बाजार के खुलते भारती एयरटेल में जोरदार गिरावट देखने को मिली. निवेशक भारती एयरटेल के शेयर में बिकवाली कर रहे थे. वजह है अडानी समूह की टेलीकॉम सेक्टर में एंट्री. भारती एयलटेल का शेयर 5 फीसदी नीचे जा लुढ़का. पिछले ट्रेडिंग सेशन में भारती एयरटेल 695 रुपये पर क्लोज हुआ था. लेकिन सोमवार सुबह शेयर 5 फीसदी के करीब लुढ़कर 661 रुपये तक जा गिरा है. फिलहाल भारतीय एयरटेल 664 रुपये के करीब ट्रेड कर रहा है.
अडानी समूह के एंट्री से टेलीकॉम सेक्टर में हलचल तेज
दरअसल अडानी समूह 5जी स्पेक्ट्रम के निलामी में हिस्से लेने जा रही है जिसके बाद माना जा रहा है टेलीकॉम सेक्टर में फिर से टैरिफ वार से लेकर ग्राहकों को छिनने की होड़ शुरू हो सकती है जैसा रिलायंस जियो के एंट्री के बाद देखने को मिला था. यही वजह है कि भारती एयरटेल के शेयर में बिकवाली देखने को मिली है. हालांकि रिलायंस इंडस्ट्री का शेयर करीब फ्लैट ट्रेड कर रहा है. रिलायंस के शेयर में 0.58 फीसदी मामूली गिरावट देखने को मिल रही है. लेकिन अडानी के टेलीकॉम स्पेस में उतरने की खबर के बावजूद वोडाफोन आइडिया के शेयर में तेजी देखी जा रही है वोडाफोन आइडिया 3.57 फीसदी की तेजी के साथ 8.75 रुपये पर ट्रेड कर रहा है.
अडानी ग्रुप की सफाई
26 जुलाई, 2022 से 5जी स्पेक्ट्रम की निलामी शुरू होने जा रही है. तीनों मौजूदा टेलीकॉम कंपनियां रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया बोली में हिस्सा लेने जा रही है. लेकिन अडानी समूह के निलामी में हिस्सा लेने से टेलीकॉम सेक्टर में हलचल तेज हो गई. अडानी समूह ने निलामी में भाग लेने पर सफाई देते हुए कहा है कि वो आम उपोक्ताओं के लिए मोबाइल सेवा के क्षेत्र में नहीं उतरने जा रही है बल्कि प्राइवेट नेटवर्क सोल्यूशन प्रदान करेगा. स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल हवाई अड्डों से लेकर अपने पोर्ट्स , पावर ट्रांसमिशन के लिए सायबर सिक्योरिटी प्रदान करने और अपने व्यवसायों के विस्तार करने के लिए एक निजी नेटवर्क के रूप में करेगा.
महंगी निलामी होने के आसार
दरअसल रिलायंस जियो के टेलीकॉम सेक्टर में एंट्री के बाद भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को बड़ी संख्या में मोबाइल उपभोक्ताओं से हाथ धोना पड़ा था. इसके चलते वोडाफोन आइडिया पर वित्तीय संकट गहरा गया जिसके चलते सरकार को बेलआउट पैकेज की घोषणा करनी पड़ी. अब अडानी समूह के 5जी स्पेक्ट्रम निलामी में हिस्सा लेने के चलते मौजूदा टेलीकॉम कंपनियों को 5जी स्पेक्ट्रम हासिल करने के लिए ऊंची बोली लगानी पड़ सकती है. जिससे उनके वित्तीय हालत पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है.
26 जुलाई से पहली नीलामी
सरकार 72 गीगाहर्ट्ज 5जी फ्रीक्वेंसी की बिक्री करने वाली है. इसका बेस प्राइस पर 4.5 लाख करोड़ रुपये तक हो सकती है. दूरसंचार नियामक द्वारा अनुशंसित कीमतों पर 600 मेगाहर्ट्ज से 26 गीगाहर्ट्ज तक के 10 बैंड में 20 वर्षों के लिए एयरवेव्स की नीलामी की जाएगी. एयरटेल, जियो, वोडाफोन आइडिया और अदानी ग्रुप ने 26 जुलाई से भारत में 5जी स्पेक्ट्रम की पहली नीलामी में हिस्सा लेने के लिए आवेदन किया है.