ईद-उल-फितर 2025: रमजान के खत्म होने पर 31 मार्च या 1 अप्रैल को चांद देखने के बाद मनाई जाएगी ईद
1 min read
न्यूज टेल डेस्क:ईद-उल-फितर इस्लाम धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार है, जो रमजान के पाक महीने की समाप्ति पर मनाया जाता है। इस त्योहार की तिथि चंद्रमा के दीदार पर निर्भर करती है, इसलिए हर साल इसकी तारीख अलग होती है। वर्ष 2025 में ईद-उल-फितर का पर्व भारत में 31 मार्च या 1 अप्रैल को मनाया जा सकता है। अंतिम तिथि का निर्णय चांद के दीदार के आधार पर होगा, क्योंकि इस्लामी कैलेंडर चंद्र चक्र पर आधारित होता है।

रमजान का महीना मुसलमानों के लिए बेहद खास होता है। इस दौरान रोज़ा (उपवास) रखा जाता है, जिसमें सुबह से लेकर सूर्यास्त तक भोजन और पानी से परहेज किया जाता है। रोज़े के दौरान नमाज, कुरान का पाठ और इबादत का विशेष महत्व होता है। रमजान के अंतिम दिनों में शब-ए-कद्र की रात को भी विशेष इबादत की जाती है, जिसे हजार रातों से बेहतर माना गया है।

ईद के दिन सुबह विशेष ईद की नमाज अदा की जाती है। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को फितरा दिया जाता है ताकि वे भी इस खुशी में शामिल हो सकें। ईद के मौके पर पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं, जिनमें सेवईं और अन्य मीठे पकवानों का खास महत्व होता है।ईद-उल-फितर पर फितरा देना हर मुसलमान पर वाजिब है। यह गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए दिया जाता है ताकि वे भी ईद की खुशियों में शामिल हो सकें।

फितरा की राशि हर साल बदलती है, जो इस्लामी नियमों और आवश्यकताओं के अनुसार निर्धारित होती है।चांद देखने की परंपरा ईद-उल-फितर के दिन को निर्धारित करती है। रमजान का महीना 29 या 30 दिनों का हो सकता है, और चांद दिखाई देने पर ही अगले दिन ईद मनाई जाती है। यदि 29वें दिन चांद नजर नहीं आता, तो 30 रोज़े पूरे किए जाते हैं और उसके अगले दिन ईद का त्योहार मनाया जाता है।

ईद-उल-फितर भाईचारे, दया और एकता का प्रतीक है। इस दिन लोग एक-दूसरे से गले मिलकर ईद की बधाइयां देते हैं और अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ मिलकर खुशियां मनाते हैं।