टोक्यो ओलंपिक में दीपिका से है देश को गोल्ड की उम्मीद, रांची में माता-पिता ने भगवान से अच्छे प्रदर्शन के लिए किया प्रार्थना
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राँची : टोक्यो ओलंपिक 2020 में झारखंड की बेटी दीपिका को महिला तीरंदाजी इवेंट में सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा है। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए दीपिका ने संघर्ष का लंबा सफर तय किया है। रांची लोहरदगा रोड पर रातू चट्टी के पास ऑटो चालक शिव नारायण महतो के घर दीपिका का जन्म हुआ था। घर की माली स्थिति बेहद खराब थी। पूरा परिवार एक छोटे से कमरे में रहता था। लेकिन पिता शिव नारायण महतो को भरोसा था कि प्रतिभा की धनी दीपिका एक दिन देश का नाम जरूर रोशन करेगी और दीपिका ने ऐसा किया भी। टोक्यो ओलंपिक में गए भारतीय दल में झारखंड की तीन बेटियां शामिल हैं। उसमें सबसे बड़ा नाम है तीरंदाज दीपिका कुमारी का। दीपिका इस समय विश्व की नंबर-1 महिला तीरंदाज है। इससे पूरे देश को गोल्ड की उम्मीदे हैं क्योंकि कुछ दिन पहले ही दीपिका कुमारी ने विश्व कप में तीन गोल्ड जीते हैं। दीपिका कुमारी एशियन चैंपियनशिप, कॉनवेल्थ गेम्स और विश्व कप सभी में गोल्ड जीत चुकी हैं और इस बार ओलंपिक की बारी है। दीपिका के माता पिता सहित पूरा झारखंड भगवान से दुआ कर रहा है कि इस बार दीपिका टोक्यो ओलिंपिक में सोना पर निशाना साधे। वही दीपिका के पिता शिव नारायण का कहना है कि अब तो उनके पास दो दो गोल्ड के दावेदार हैं। एक दीपिका दूसरा दीपिका के पति अतनु दास जिसके साथ 2020 मे दीपिका परिणय सूत्र में बंधी। वही दीपिका की माता का कहना है कि माता रानी से प्रार्थना है कि इस बार दीपिका ओलिंपिक में देश के लिये गोल्ड लेकर आये।
गौरतलब है झारखंड की राजधानी राची से लगभग 25 किमी दूर राँची जिले के रातु चट्टी में 13 जून 1994 में दीपिका कुमारी का जन्म हुआ था। दीपिका के पिता ऑटो रिक्शा चलाते हैं और आज भी चलाते हैं। 2005 में दीपिका को अर्जुन आर्चरी एकेडमी में मौका मिला। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा इस एकेडमी को चलाती हैं। 2006 में दीपिका ने टाटा आर्चरी एकेडमी ज्वाइन कर लिया। जिसके बाद दीपिका की प्रतिभा का लोहा पूरे देश ने माना। जहां उसे ट्रेनिंग के साथ साथ स्टाइपन भी मिलता था। 2009 में पहली बार उसने कैडेट वर्ल्ड चैंपियनशिप में जीत दर्ज कर अपनी प्रतिभा से देश को अवगत कराया। अबतक कॉमनवेल्थ गेम्स और वर्ल्ड कप में 4 बार गोल्ड, तीन बार सिल्वर और चार बार ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं। दीपिका कुमारी ने 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में दो गोल्ड जीतकर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा था। इसी साल एशियन गेम्स में दीपिका ने ब्रॉन्ज जीता था। 2010 के बाद से उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2011 वर्ल्ड चैपियनशिप और एशियन आर्चरी चैंपियनशिप में सिल्वर पर कब्जा जमाया। 2012 में दीपिका कुमारी विश्व की नंबर वन खिलाड़ी बन गई। 2013 एशियन आर्चरी चैंपियनशिप में गोल्ड जीतते हुए अपना बेहतरीन प्रदर्शन उसने जारी रखा। 2015 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर और एशियन आर्चरी चैंपियनशिप में सिल्वर और ब्रॉन्ज पर कब्जा जमाया। 2015 के बाद दीपिका खराब फॉर्म से जुझने लगी। 2019 एशियन आर्चरी चैंपियनशिप में दो ब्रॉन्ज जीतकर उनसे फिर से अपना लय पा लिया, और इस साल 2021 वर्ल्ड कप में तीन गोल्ड पर कब्जा कर दीपिका फिर से विश्व की नंबर-1 तीरंदाज बन गई। अगर बात करे दीपिका की प्रतिभा की तो सबसे पहले केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और उनकी पत्नी मीरा मुंडा ने दीपिका के अंदर छिपी हुई प्रतिभा को पहचाना। मीरा मुंडा की पहल पर दीपिका का टाटा आर्चरी एकेडमी में दाखिला हुआ। इसके बाद दीपिका ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। पिछले साल दीपिका की शादी तीरंदाज अतनु दास के साथ कोरोना प्रोटोकॉल को निभाते हुए रांची में हुई थी । उसी समय दीपिका ने कहा था कि उनका एकमात्र लक्ष्य है। ओलंपिक में देश को गोल्ड मेडल जीताना।