March 25, 2025

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बिहार दिवस 2025: जानिए बिहार के प्रमुख धार्मिक स्थलों का महत्व और इतिहास

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महावीर मंदिर, पटना

पटना जंक्शन के समीप स्थित महावीर मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है। उत्तर भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में शामिल यह मंदिर श्रद्धालुओं के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है। यहाँ भक्तों को “नवधा मोहन भोग” प्रसाद स्वरूप मिलता है। यह मंदिर सामाजिक सेवा के क्षेत्र में भी अग्रणी है, महावीर कैंसर संस्थान और अन्य चैरिटी के माध्यम से हजारों लोगों की सहायता करता है। मंगलवार और शनिवार को यहाँ विशेष भीड़ उमड़ती है।

विष्णुपद मंदिर, गया

गया का विष्णुपद मंदिर भगवान विष्णु के चरण चिह्नों पर स्थापित है। फल्गु नदी के किनारे स्थित यह मंदिर पिंडदान और श्राद्ध कर्म के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि भगवान राम और माता सीता ने यहाँ पिंडदान किया था। वर्तमान मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में मराठा शासक अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था।

बुद्ध स्मृति पार्क, पटना

पटना के फ्रेजर रोड पर स्थित यह स्थल भगवान बुद्ध को समर्पित है। 2010 में बिहार सरकार ने भगवान बुद्ध की 2554वीं जयंती पर इसे स्थापित किया। यहाँ ध्यान केंद्र, संग्रहालय और पुस्तकालय के साथ महाबोधि स्तूप स्थित है, जिसमें भगवान बुद्ध के अस्थि अवशेष सुरक्षित हैं।मुंडेश्वरी मंदिर, कैमूरभारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाने वाला मुंडेश्वरी मंदिर माता शक्ति और भगवान शिव को समर्पित है। गुप्त काल (लगभग 635 ईस्वी) में निर्मित यह मंदिर बलि रहित पूजा की परंपरा को संजोए हुए है।

पटन देवी मंदिर, पटना

पटन देवी मंदिर बिहार का एक प्रमुख शक्ति पीठ है। यह माता दुर्गा के स्वरूप – महा पटन देवी और चोटी पटन देवी को समर्पित है। कहा जाता है कि यहाँ माता सती का दाहिना जांघ गिरा था। नवरात्रि के दौरान यहाँ विशेष पूजा-अर्चना होती है।

जलमंदिर, पावापुरी

नालंदा जिले के पावापुरी में स्थित जलमंदिर भगवान महावीर के निर्वाण स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। एक सुंदर तालाब के मध्य स्थित यह मंदिर संगमरमर की संरचना के साथ भक्तों को आध्यात्मिक शांति का अनुभव कराता है।

उग्र तारा मंदिर, सहरसा

उग्र तारा मंदिर तंत्र साधना के प्रमुख स्थलों में से एक है। यह मंदिर माता तारा देवी को समर्पित है। यहाँ मूर्ति की बजाय शिवलिंग जैसी पिंडी की पूजा की जाती है। नवरात्रि और तांत्रिक अनुष्ठानों के दौरान यहाँ विशेष आयोजन होते हैं।

बिहार दिवस 2025 पर श्रद्धालुओं के लिए ये मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र हैं, बल्कि बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को भी उजागर करते हैं।

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