27 सितंबर को मनाया जाएगा बप्पा का जन्मोत्सव।
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न्यूज टेल डेस्क: इस वर्ष गणेश चतुर्थी का पर्व 27 सितंबर 2025, बुधवार को मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश का जन्म हुआ था। बुद्धि, विद्या और ऋद्धि-सिद्धि के प्रतीक गणेश जी को प्रथम पूज्य माना जाता है। इस दिन बिना मुहूर्त के किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत की जाती है। माना जाता है कि इस व्रत के पालन से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।

पूजन विधि और भोग का महत्व
गणेश चतुर्थी के दिन भक्त गणेश जी का पूजन धूप, दीप, पुष्प और फलों के साथ करते हैं। 21 मोदक, देसी घी, गुड़, लड्डू, पूरन पोली, खीर और मीठे पूड़े का भोग लगाना शुभ माना जाता है। गणेश जी को दूर्वा चढ़ाना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। शास्त्रों के अनुसार, 21 दूर्वा को गणेश जी के दस नामों—एकदंत, गजानन, गणपति, विनायक, लंबोदर, विघ्नेश, मंगलमूर्ति, भालचंद्र, धूम्रकेतु और सुमुख—का उच्चारण करते हुए अर्पित करना श्रेष्ठ फलदायक होता है।

चंद्र दर्शन से बचें और सहस्त्रनाम का पाठ करें
शास्त्रों के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन वर्जित है। कहा जाता है कि इस दिन चांद देखने से मिथ्या कलंक लग सकता है। दिनभर उपवास रखने और रात को फलाहार करने की परंपरा है। भक्त इस दिन भगवान गणेश के सहस्त्रनाम का पाठ करते हैं और पूर्ण श्रद्धा से प्रार्थना करते हैं, जिससे जीवन की सभी रुकावटें दूर होती हैं।