“भारतवर्ष: एक नयी युवा पीढ़ी की अद्भुत शक्ति और संकल्पना”
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न्यूज़ टेल /डेस्क: कहते हैं सभ्यतायें संस्कृति की परछाई होती हैं। हमारा भारतवर्ष अपनी संस्कृति की धरोहर को विश्व पटल पर तब ही रखा हुआ था और अब भी रखा हुआ है। माँ भारती ने अपने आँचल में हमारी संस्कृति को कुछ ऐसे समेटा है जहाँ हमारा संविधान भी उसे देख इठलाता है। यह वही धरा है जहाँ वेद से विज्ञान तक की यात्रा पूरी की गई। यह वही गौरवशाली भारत है जो विश्व गुरू कहलाया, जिसने विश्व विख्यात नालंदा,तक्षशिला की अखंड नींव रखी।
ये कहने में कहीं भी दो मत नहीं है कि हमारा देश ऋषियों का रहा है, परम् संतों का रहा है, विद्वानों का रहा है, वीरों का रहा है। जिन्होंने इसके रोम-रोम में प्राचीनम से लेकर नवीनतम को संजोने का कार्य किया है। कहीं चाणक्य ने अर्थशास्त्र की भूमिका बांध दी तो कहीं कबीर ने दोहे में जीवन रच दिया। कहीं आर्यभट शून्य पर सवार हुए तो कहीं महाराणा, वीर शिवाजी और उनके उपरांत आक्रांताओं के समक्ष आज़ाद,भगत,बोस आदि ने अपनी मातृभूमि के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए। यहाँ तक कि इस भूमि से जुड़ी नारियों व देवियों ने भी समुचित संसार को बतलाया है कि हमारी हथेलियां कंगन में भी शोभनीय है और तलवार की गूंज में भी।
इस माटी में वो लाल जन्में हैं जो आज इस दौर में भी माँ भारती की सुरक्षा में ऐसे खड़े हैं, जैसा खड़ा है उत्तर में सीना ताने विशाल हिमालय। यह देश ने युवा शक्ति, वीरों को सिखलाया है कि कर्म भूमि से रण भूमि का मार्ग यदि मातृभूमि के लिए तय किया गया हो तो वह धर्मोचित कर्तव्य है। और इसी का सबसे बलशाली उदाहरण है “कारगिल” जिसे आने वाले इतिहास के हर पन्नों में हमारी विरासत और वीर गाथाओं के बीच सदैव याद रखा जायेगा। कारगिल शहादत की गाथा भारत के कोने कोने में विस्तृत है। हम युवा पीढ़ी के लिए यह ज़रूरी है कि हम केवल इन वीरों का सम्मान ही नहीं बल्कि इनके जैसा ढाल बनने का प्रयत्न करें। हम प्रयत्न करें कि इन्होंने जिस वीरता पूर्वक से मातृभूमि के लिए सब कुछ कुर्बान कर दिया हम भी उसी लगन से अपने भव्य राष्ट्र का निर्माण करें। हम प्रयत्न करें कि इन शहीदों का शहादत व्यर्थ न जाए। हम प्रयत्न करें कि मनोज पांडे जैसा देश प्रेम हमारा लहू का परिचय कराए, क्योंकि मुझे विश्वास है कि ये नयी युवा पीढ़ी बत्रा साहब की “ये दिल मांगे मोर” से संकल्पित है। और यह संकल्प दृढ़ है, अद्वितीय है।
–राहुल कुमार
झारखंड केंद्रीय विश्वविधालय