कविता…..
देखो…..
बाजार खुलने लगे हैं
हां,
देखो कोरोना जाने लगा हैं।बाजार भी खुलने 🔓लगा है…..
पर वो कोने की दुकान क्यों नहीं खुलती?वो सब्जीवाली अम्मा क्यों नहीं दिखती?
वो पानीपूरी वाले भईया नज़र क्यों नही आते?
जूते की दुकान पर ताले क्यों नजर आते हैँ?
पता चला,
उन्हें दूसरी लहर ले गई…😔सारी उम्र की तन्हाईयां दे गई
सब खुलेगा,
पहले जैसा भी होगा,
पर बुझा चिराग 😢फिर न जलेगा।वो अकेला कहां गया होगा..
पूरा परिवार ले गया होगाकिसी का स्कूल🏃♀️ छूटा..
किसा का घर 🏠 टूटा..
किसी की चूड़ी चटकी..
किसी की सांसे लटकी..दुनिया फिर 😍 मुस्कुराएंगी
पर…..
कुछ घरों में दीवाली
कभी न आयेगी।जो चले गए…..
वो बस याद आयेंगे।ना जाने ये चेहरे फिर कब मुस्कुराएंगे।
ना जाने ये चेहरे फिर कब मुस्कुराएंगे।
लॉकडाउन तो खुल जाएगा….
कल नहीं तो परसोंजो पीड़ा कोरोना ने दिया है….
कैसे भूलेंगे बरसों…..
कैसे भूलेंगे बरसों💐भावभीनी श्रद्धांजलि उन्हें…..
जो अब नहीं रहे😷निरंतर मास्क का प्रयोग करें
हाथ धोते रहें,
सैनिटाइजर का प्रयोग करते रहें।स्वस्थ रहें व सुरक्षित रहें..!!
अपना ध्यान रखें, अपने परिवार का ध्यान रखें।