चकाई में चुनावी सरगर्मी तेज, बागियों ने बढ़ाई राजनीतिक तपिश, एनडीए और महागठबंधन में हलचल जारी
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Bihar:जमुई जिले के चकाई विधानसभा क्षेत्र में आगामी चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। एनडीए और महागठबंधन दोनों ही खेमों में संभावित मुकाबलों को लेकर चर्चा जारी है, लेकिन बागियों की सक्रियता ने चुनावी माहौल को और अधिक दिलचस्प बना दिया है। एनडीए में मौजूदा मंत्री सुमित कुमार सिंह सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। पिछली बार उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की थी और इस बार 18 अक्टूबर को नामांकन दाखिल करेंगे। वहीं, पूर्व एमएलसी संजय प्रसाद और लोजपा के पूर्व प्रत्याशी संजय मंडल भी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं।

तीनों नेताओं की सक्रियता से एनडीए खेमे में बगावत की सरगर्मी चरम पर है और अगर असंतोष नहीं थमा तो यह सत्ता पक्ष के लिए सिरदर्द बन सकती है।विपक्षी महागठबंधन में भी हलचल कम नहीं है। चर्चा है कि यह सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के खाते में जाएगी। पार्टी के संभावित उम्मीदवारों में ममता सिंह और पौलुस हेंब्रम के नाम चर्चा में हैं, जबकि पूर्व विधायक सावित्री देवी लगातार जनसंपर्क में सक्रिय हैं। राजनीतिक गलियारों में यह भी कानाफूसी है कि अगर उम्मीदवार की घोषणा में देरी हुई तो सावित्री देवी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोक सकती हैं। इसके अलावा चंदन फाउंडेशन के संस्थापक चंदन सिंह भी इस मुकाबले को और रोमांचक बना सकते हैं।

चकाई के मतदाता इस बार विकास और स्थिर नेतृत्व को प्राथमिकता दे रहे हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं पर जनता की नजर है। युवा मतदाताओं की बड़ी संख्या स्थानीय अवसरों और रोजगार की कमी से निराश है। ऐसे में यह सीट अब सिर्फ दल या गठबंधन के लिए नहीं, बल्कि उम्मीदवार के कामकाज और लोक संपर्क की क्षमता के लिए भी निर्णायक बन गई है।राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चकाई की लड़ाई इस बार सिर्फ सत्ता पाने की नहीं, बल्कि साख, रणनीति और जनसंपर्क की भी होगी। दोनों खेमों के लिए यह सीट प्रतिष्ठा की बनी हुई है। बागी प्रत्याशी किसी भी समय समीकरण पलट सकते हैं, जिससे चुनावी माहौल और भी अनिश्चितताओं से भर गया है।
