परिवार टूटने से समाज भी होता है प्रभावित।
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न्यूज टेल डेस्क: तलाक एक ऐसा शब्द है जिसकी पीड़ा वही समझ सकता है जिसने इसे झेला हो। वैवाहिक संबंधों का टूटना न केवल पति-पत्नी के जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि पूरे परिवार और समाज पर असर डालता है। विशेषज्ञों के अनुसार तलाक के मुख्य कारणों में प्रतिबद्धता की कमी, बेवफाई, लगातार झगड़े, आर्थिक समस्याएं, नशे की लत, आपसी सम्मान और संवाद की कमी शामिल हैं। कई बार पुरुष प्रधान मानसिकता या कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग भी रिश्तों को खत्म करने में अहम भूमिका निभाता है।

विभिन्न शोध बताते हैं कि तलाक की बढ़ती प्रवृत्ति का असर समाज की जनसंख्या संरचना पर भी पड़ रहा है। अमेरिकी और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, 2100 तक विश्व की जनसंख्या आधी हो सकती है और भारत की आबादी भी सौ करोड़ के आसपास रह जाएगी। संयुक्त परिवार प्रणाली के टूटने और बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी केवल माता-पिता पर आने से, तलाक की स्थिति में बच्चों का भविष्य अनिश्चित हो जाता है।

सर्वोच्च न्यायालय की तलाक विवाद पर अहम सलाह।
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय की जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस अतुल एस चांदूरकर की पीठ ने तलाक के मामलों में दंपतियों को आपसी विवाद सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने की सलाह दी। अदालत ने कहा, “बदले की जिंदगी मत जिएं, आगे लंबा जीवन है और इसे अच्छा बनाना चाहिए।” यह सलाह विवाहित जीवन को बचाने और रिश्तों को मजबूत बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।