सारंडा का बदलाव अब दिखने लगा है: सरयू राय
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न्यूज टेल डेस्क: रांची प्रेस क्लब में ‘सारंडा का बदलता परिदृश्य’ विषय पर आयोजित सेमिनार में जमशेदपुर पश्चिम के विधायक और सारंडा बचाओ अभियान के संयोजक सरयू राय ने कहा कि सारंडा अब बदल रहा है और यह बदलाव स्पष्ट दिख रहा है। उन्होंने बताया कि माइनिंग के बूम के समय अवैध खनन बढ़ा, जिससे क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचा। पीआईएल दाखिल कर अभियान शुरू किया गया, लेकिन समय के साथ उदासीनता आ गई, जिससे अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं निकल पाया। उन्होंने पर्यावरण और खनन विभाग के बीच समन्वय पर जोर देते हुए कहा कि देश की जरूरतों को पहले देखते हुए माइनिंग होनी चाहिए, न कि सिर्फ विदेशों को ध्यान में रखकर।

सारंडा की पारिस्थितिकी और आदिवासी संस्कृति को लेकर जताई चिंता।
मुख्य अतिथि रिटायर्ड न्यायमूर्ति डॉ. एस.एन. पाठक ने कहा कि सारंडा सिर्फ जंगल नहीं, बल्कि एक जीवन रेखा है, जिसे आदिवासियों ने संरक्षित किया। हालिया दशकों में खनन, कटाई और विस्थापन ने इसकी इकोलॉजी को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण और विकास दुश्मन नहीं, बल्कि एक साथ आगे बढ़ सकते हैं। पूर्व प्रधान वन संरक्षक धीरेंद्र कुमार ने कहा कि स्थानीय युवाओं को जोड़कर ही सारंडा को बचाया जा सकता है। वहीं डी.एस. श्रीवास्तव ने सेल की माइंस को सबसे ज्यादा नुकसानदेह बताया और कहा कि अवैध खनन और वृक्ष कटाई ने हाथियों के कॉरिडोर को तबाह कर दिया है।

विशेषज्ञों ने खनन विभाग की भूमिका और भविष्य की योजनाओं को रखा सामने।
सेमिनार में पूर्व खनन उप निदेशक अरुण कुमार ने कहा कि खनन विभाग अब अपनी जिम्मेदारी को लेकर बेहद संजीदा है और आधारभूत ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वहीं, संजीव कुमार ने कहा कि खनन, पर्यावरण और विकास एक-दूसरे के पूरक हैं और डीएमएफटी फंड से स्थानीय जीवन स्तर को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। पूर्व वन संरक्षक एच.एस. गुप्ता और लाल रत्नाकर सिंह ने भी सारंडा के इतिहास और संरक्षण की जरूरतों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन युगांतर प्रकृति के अध्यक्ष अंशुल शरण ने किया और विभिन्न अतिथियों ने सारंडा को बचाने के लिए समन्वित सोच और कार्य योजना की आवश्यकता पर बल दिया।