“शक्ति, संयम और सूझबूझ से भारत ने जीती आतंक के खिलाफ बड़ी जंग”
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भारत ने दिखाई सैन्य शक्ति और राजनीतिक सूझबूझ
भारतीय सैन्य बलों और राजनीतिक नेतृत्व की शक्ति, संयम और रणनीतिक सोच ने एक बार फिर देश को गौरवान्वित किया है। पहलगाम हमले के बाद उत्पन्न स्थिति में भारत ने न सिर्फ आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाया, बल्कि सौ से अधिक आतंकियों को मार गिराने में सफलता पाई। इससे स्पष्ट होता है कि भारत अब अपने नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है और किसी भी आतंकी हरकत को युद्ध की तरह देखता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने यह संदेश स्पष्ट किया कि भारत युद्धोन्मादी देश नहीं है, लेकिन आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

विश्व मंच पर भारत की मजबूत उपस्थिति भारत की कार्रवाई ने उसे वैश्विक मंच पर सम्मान दिलाया है। यह पहला मौका है जब किसी परमाणु संपन्न देश पर ऐसी निर्णायक कार्रवाई की गई हो। भारत ने पाकिस्तान पर न केवल सैन्य दबाव बनाया, बल्कि आयात-निर्यात प्रतिबंध, सिंधु जल संधि की पुनर्समीक्षा और पांच एयरबेस तबाह कर अपने इरादे जाहिर कर दिए। पाकिस्तान की ओर से बार-बार दी जा रही परमाणु धमकियों के बावजूद भारत ने संयम बरतते हुए कूटनीतिक रूप से भी बढ़त बनाई और क्षेत्र को युद्ध में धकेलने से रोका। भारत सरकार ने मीडिया को भी संयमित रिपोर्टिंग की सलाह देकर सामाजिक जिम्मेदारी का परिचय दिया।

पाकिस्तान का बिखराव ही स्थायी समाधान चार दिनों के भीतर पाकिस्तान घुटनों पर आ गया और बातचीत की गुहार लगाने लगा। हालांकि, भारत को यह भलीभांति समझ है कि पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता। आतंकी संगठनों को संरक्षण देने वाला पाकिस्तान वैश्विक संकट बना हुआ है। बलूच, पख़्तून और सिंध की आंतरिक अस्थिरता उसके विघटन की आहट दे रही है। विशेषज्ञों के अनुसार पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग कर ठोस चोट पहुंचाना जरूरी है ताकि वह भविष्य में कोई दुस्साहस न कर सके। भारत की यह नीति स्पष्ट है कि हर आतंकी हरकत अब युद्ध के बराबर मानी जाएगी। इस चेतावनी के साथ भारत ने अपनी सुरक्षा नीति को नया आयाम दे दिया है।
