धर्मगुरुओं के सहयोग से बाल विवाह की रोकथाम में सफलता
1 min read
                न्यूज टेल डेस्क: पूर्वी सिंहभूम जिले में बाल विवाह की रोकथाम के लिए आदर्श सेवा संस्थान ने धर्मगुरुओं के बीच जागरूकता अभियान चलाया है। इस अभियान का उद्देश्य विभिन्न धर्मों के पुरोहितों, जैसे पंडित, मौलवी और पादरी, को बाल विवाह के खिलाफ जागरूक करना था। आदर्श सेवा संस्थान के निदेशक डॉ. निर्मला शुक्ला ने बताया कि धर्मगुरुओं का सहयोग अभिभूत करने वाला रहा, और इस अक्षय तृतीया पर जिले में एक भी बाल विवाह नहीं होने का विश्वास व्यक्त किया। इसके परिणामस्वरूप, जिले में कई मंदिरों और मस्जिदों के बाहर यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि यहां बाल विवाह की अनुमति नहीं है।

देशभर में बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए काम कर रहे नागरिक समाज संगठनों के नेटवर्क, जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) ने इस अभियान में महत्वपूर्ण सहयोग दिया है। जेआरसी ने 2030 तक देश से बाल विवाह समाप्त करने का लक्ष्य तय किया है और इसके सहयोगी संगठन आदर्श सेवा संस्थान ने 2023-24 में अकेले पूर्वी सिंहभूम जिले में 321 बाल विवाहों को रोका है। इस अभियान का एक अहम हिस्सा धर्मगुरुओं को जोड़ना था, क्योंकि विवाह संपन्न कराने वाले पंडित और मौलवी का महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

आदर्श सेवा संस्थान के निदेशक डॉ. निर्मला शुक्ला ने बताया कि अभी भी देश में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता की कमी है। उन्होंने बताया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम (पीसीएमए), 2006 के तहत यह एक अपराध है और इसमें शामिल होने पर सजा और जुर्माना हो सकता है। इस अभियान के दौरान धर्मगुरुओं को यह समझाया गया कि बाल विवाह न केवल एक सामाजिक समस्या है, बल्कि यह बच्चों के साथ बलात्कार के समान है। धर्मगुरुओं ने इस अभियान को समर्थन देने के साथ-साथ खुद भी बाल विवाह रोकने की शपथ ली है। डॉ. शुक्ला ने विश्वास जताया कि धर्मगुरुओं के सहयोग से जल्द ही पूर्वी सिंहभूम बाल विवाह मुक्त बनेगा।
