दलमा बूढ़ा बाबा के बारे में ये जानकारी है आपको, महाशिवरात्रि पर उमड़ी भीड़
जमशेदपुर : आदि काल में अजगर पर बैठ दो बाघ की रखवाली में पूजा अर्चना सम्पन्न होने वाला स्थान, बूढाबाबा, यानी दलमा पहाड़ जंगल के गुफा में स्थित भोले नाथ का लिंग जिसकी तस्वीर ड्रोन कैमरे से ली गयी है। इस तस्वीर में आप महाशिवरात्रि की आस्था का जायजा ले सकते हैं। दलमा पहाड़ पूजा समिति ने कहा कि 1200 वर्ष पहले से यहां भोलेनाथ की पूजा हो रही है।
भगवान भोले नाथ की पूजा आज कहीं मंदिर में तो कही जंगलों में तो कही पहाड़ों में, यानी झारखंड के अलग अलग क्षेत्रों में मान्यता के मुताबित की जा रही है। मगर सूबे में अपनी खूबसूरती और गजराजों की उपस्थिति के कारण चर्चित रहने वाला लगभग 192 वर्ग किलो मीटर में फैला दलमा जंगल जिसकी सीमाएं झारखंड, उड़ीसा और बंगाल जैसे तीन राज्यों को छूती हैं, जहां विशेष कर जानवरों में गजराजों का कब्जा रहता है। जहां आज महाशिवरात्रि के दिन एक बड़ा मेला पहाड़ के ऊपर लगता है। इसमें गुफा के अंदर पहाड़ों की कंदराओं में घुस कर भक्त भोले नाथ की शिवलिंग पर अपना जल अर्पण करते हैं। जिसका महत्व है कि जो कोई भी इस लिंग पर सच्चे मनोभाव के साथ पूजा करेगा उसका मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी ।
दलमा का दुर्गम पहाड़ और जंगल जो समुद्र तल से कई हजार फीट ऊपर है। जिसकी पहाड़ियां आसमान से बातें करती हैं। जिसके जंगलो में घूमना मुसीबत को बुलाने जैसा होता है। मगर आज महाशिवरात्रि के अवसर पर कई राज्यों के श्रद्धालु पहुंचे। कोई पैदल तो कोई मोटर गाड़ी से घंटों का सफर तय कर यहां पहुचे।
दलमा बूढा बाबा समिति के सदस्य बताते हैं कि यहां आदि काल से पूजा होती आ रही है। उनके पूर्वजों ने उन्हें बताया कि आदि काल में उनके पूर्वजों को भगवान ने स्वप्न में आकर पूजा करने को कहा था। उन्होंने कहा था कि पूजा करने से कल्याण होगा और जंगल के जानवरों से भी सुरक्षित रहेंगे। उसी समय से यहां पूजा होती आ रही है।
भगवान पर निष्ठा रखने वाले भक्तों की इस भीड़ के बारे में पूछे जाने पर पूजा व्यवस्था को सुव्यस्थित चलाने वाले समिति के अधिकारी बताते हैं कि पहले के समय में उनके पूर्वज यहां अजगर सर्प की पीठ पर बैठ पूजा पूजा करते थे और दो बाघ पुजारी को जंगल के रास्ते घर से लाने जाया करते थे। ऐसी जानकारी पूर्वजों से मिली है। इस कारण यहां बूढा बाबा यानी भोलेनाथ के शिवलिंग की पूजा की जाती है।